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रामलीला में निज़ामुद्दीन बीते 10 वर्षों से अभिनय कर रहें हैं. वे सीता के पिता राजा जनक, सुषेन वैद्य, शांतनु और भील राजा का किरदार निभा चुके हैं. निज़ामुद्दीन बताते हैं कि उन्हें रामलीला में काम करना पसंद है. कोविड-19 के कारण रामलीला का मंचल पिछले वर्षों में प्रभावित हुआ. इसके कारण सभी कलाकार हताश थे. लेकिन इस वर्ष रामलीला मंचन की अनुमति मिलने से वे प्रसन्न है।

आगरा : कैंट की प्रसिद्ध श्रीरामलीला के मंंचन में सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया जा रहा है. इस दौरान मुस्लिम कलाकारों को भी इसमें अभिनय का मौका दिया जाता है. मुस्लिम कलाकार भी श्रीराम के आदर्शों को अपने अभिनय के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाते हैं. उनका कहना है कि यह भारत की संस्कृति है. इसे धर्म से न जोड़ें. इसे हम सबको मिलकर आगे बढ़ाना होगा. भगवान श्रीराम के आदर्शों को लेकर एक अच्छे समाज की स्थापना करनी होगी।

इस बार राजा जनक का किरदार निभाने वाले निज़ामुद्दीन अपने अभिनय से लोगों को भाईचारे का संदेश दे रहे हैं. उनका राम प्रेम देखते ही बनता है. बता दें कि आगरा कैंट रेलवे कर्मचारियों की रामलीला इन दिनों आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यहां प्रतिदिन रामलीला का मंचन किया जा रहा है. इसे देखने के लिए हर रोज सैकड़ों लोग जुट रहे है।

रामलीला में निज़ामुद्दीन बीते 10 वर्षों से अभिनय कर रहें हैं. वे सीता के पिता राजा जनक, सुषेन वैद्य, शांतनु और भील राजा का किरदार निभा चुके हैं. निज़ामुद्दीन बताते हैं कि उन्हें रामलीला में काम करना पसंद है।

कोविड-19 के कारण रामलीला का मंचल पिछले वर्षों में प्रभावित हुआ. इसके कारण सभी कलाकार हताश थे. लेकिन इस वर्ष रामलीला मंचन की अनुमति मिलने से वे प्रसन्न है. निज़ामुद्दीन कहते हैं कि हम सभी भगवान श्रीराम के वंशज हैं. उनके चरित्र से प्रभावित होकर ही उन्होंने रामलीला में अभिनय शुरू किया।

 

बताया कि उनके अभिनय की जब लोग तारीफ करते हैं तो उन्हें अच्छा लगता है. कहा कि रामलीला के माध्यम से वे लोगों तक भगवान श्रीराम के आदर्शों को पहुंचा रहे हैं. रामलीला में अभिनय से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले निजामुद्दीन कहते है कि जब उन्होंने रामलीला में काम शुरू किया तो मुस्लिमों ने उनका विरोध शुरू कर दिया. उनके खिलाफ समाज में दुष्प्रचार किया गया।

भला-बुरा कहा गया. इसके बावजूद उन्होंने अपनी रामभक्ति पर आंच नहीं आने दी. वह लगातार रामलीला में अभिनय करते रहे. बताया कि आज इतने वर्षों बाद आज उनका विरोध करने वाले भी उनकी रामभक्ति के आगे नतमस्तक नजर आते हैं. इससे निज़ामुद्दीन आत्मविश्वास से लबरेज नजर आते हैं।

निज़ामुद्दीन भगवान श्रीराम को अपना पूर्वज मानते हैं. वे कहते हैं कि वे भगवान श्रीराम के वंशज हैं. वह कहते हैं कि धर्म अलग होने से इंसानियत अलग नहीं हो जाती. सिर्फ धर्म के नाम पर लोगों की हत्या करदेना भारत की संस्कृति नहीं है.

भारत शुरू से धार्मिक सद्भावना का केंद्र रहा है. इसी संस्कृति को हमें ध्यान में रखकर हर धर्म, हर वर्ग का ध्यान रखना चाहिए. कहा कि उनका परिवार भी भगवान श्रीराम के आदर्शों को मानता है. इस कारण इस वर्ष उनका पोता भी रामलीला में अभिनय कर रहा है. यह उनके लिए शौभाग्य की बात है।

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