लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना मूल्य की वृद्धि का ऐलान किया है। अब प्रदेश में 325 रुपये की जगह 350 रुपये प्रति कुंतल गन्ना मूल्य का भुगतान किया जाएगा। सामान्य गन्ने का 315 रुपये प्रति कुंतल की जगह 340 प्रति कुंतल का भुगतान किया जाएगा। अनुपयुक्त गन्ना मूल्य में भी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है। किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इससे किसानों की आय में करीब आठ फीसदी की वृद्धि होगी। करीब 45 लाख किसानों का लाभ होगा। प्रदेश सरकार किसान भाइयों और गन्ना किसानों के लिए वह सब करेगी जिससे उनके जीवन में व्यापक परिवर्तन हो। किसान के लिए हम जितना और जो भी कर सकें वह कम होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को भाजपा के किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 2004 से 2014 के बीच की सरकारों के कार्यकाल में अंधकार युग था। अराजकता थी, गुंडागर्दी थी, दंगे थे, कोई सुरक्षित नहीं था और किसान भाई प्रदेश के अंदर आत्महत्या कर रहे थे। यह हाल केवल इसी प्रदेश के अंदर नहीं था। महाराष्ट्र के अंदर भी यही स्थिति थी। कई अन्य राज्यों के में भी यही स्थिति थी। लेकिन जब देश के नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनते हैं तब उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि हमारी सरकार किसी का चेहरा देख कर के काम नहीं करेगी। हमारी सरकार बिना भेदभाव के काम करेगी।
पहली बार स्वाइल हेल्थ कार्ड बने। आत्महत्या और भुखमरी का समाधान कैसे निकाला गया। अगर धरती माता के स्वास्थ्य की हम चिंता करेंगे तो रिटर्न में वह भी हमें देगी। योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई योजना का सिलसिला शुरू हुआ। 2017 में भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश की सत्ता सौंपी तो हमारी सरकार का भी पहला निर्णय किसान के पक्ष में ही था। 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड रुपये का ऋण माफी का फैसला लिया गया। लघु एवं सीमांत किसानों का एक लाख तक का कर्जा माफ कर दिया गया था। हम जानते थे कि यह बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन भाजपा ने अगर संकल्प पत्र में इसकी घोषणा की है तो इसका समाधान होना ही होना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे अन्नदाता किसान भाइयों के चेहरे पर खुशहाली आई। उसी महीनें हम लोग किसानों की फसल क्रय केंद्रों के माध्यम से खरीदने का काम किया। रिकार्ड खरीद हुई। पिछली सरकारें भी यह कर सकती थीं। सपा रही हो या कांग्रेस या फिर बसपा, इनकी सरकारों में किसानों की उपज को खरीदने के लिए कोई व्यवस्था क्यों नहीं की गयी ? खास तौर पर मैं अगर गेहूं की बात करूं तो 19 लाख किसानों का 12 हजार करोड़ का भुगतान किया था। जबकि हमारी सरकार ने 45 लाख से ऊपर किसानों का 26 हजार 504 करोड़ रुपये गेहूं का भुगतान किया है। यह पैसा किसान भाइयों के खाते में सीधे किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि गन्ना किसान परेशान थे कि गन्ना चीनी मिल बंद हो जाएंगी। बहुजन समाज पार्टी की सरकार में 21 चीनी मिलें बंद कर दी गईं थीं। समाजवादी पार्टी की सरकार में चीनी मिले बंद हुईं। हम लोगों ने चीनी मिलें बंद नहीं की। बल्कि चीनी मिलों को चलाने का काम किया। सपा बसपा की सरकार ने जिन चीनी मिलों को बेचने का काम किया था, उन स्थानों पर फिर से हमने चीनी मिल लगाई। उनकी सरकारों में गन्ना किसान परेशान था आज किसान खुशहाल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड में विभिन्न प्रदेशों में चीनी मिल बंद की जा रही थी लेकिन उत्तर प्रदेश की सभी 119 चीनी मिले चलती रहीं। जब सरकार में नहीं थे तब भी किसानों के हितों की लड़ाई हम ही लड़ते थे। सरकार बनी तो भी हम कार्य किये। आज परिणाम सबक सामने है। 2004 से 2017 तक कभी ऐसे नहीं हुआ जब किसानों को अपना गन्ना बेचने के लिए संघर्ष न करना पड़ा हो। 2014 से 2021 के बीच कोई भी किसान आत्महत्या नहीं किया। इतिहास के पन्नों को पलटिये। 1918 में महामारी आई थी। तब ढाई करोड़ लोग मरे थे। मोदी सरकार के समय कोरोना महामारी आई। मोदी के नेतृत्व में सरकार ने लोगों की जान बचाने में ही नहीं बल्कि भोजनन और रोजगार की भी व्यवस्था की।