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💠💠ऑपरेशन जागृति अपडेट दिनांक 23-02-2024 जनपद फिरोजाबाद । 💠💠

श्रीमान अपर पुलिस महानिदेशक महोदय आगरा जोन, आगरा द्वारा जोन स्तर पर प्रारम्भ किये गये अभियान “ऑपरेशन जागृति” के क्रम में आज दिनांक 23.02.2024 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक फिरोजाबाद के निर्देशन में फिरोजाबाद पुलिस टीम एवं यूनिसेफ टीम के द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर बालिकाएँ, महिलाओं, छात्र / छात्राओं, शिक्षक / शिक्षिकाओं एवं अन्य संभ्रांत व्यक्तियों को ऑपरेशन जागृति के प्रमुख उद्देश्यों से सभी को अवगत कराते हुए जागरुक किया गया –

ऑपरेशन जागृति के प्रमुख उद्देशयः-

▪️ युवा बालिकाओं को साइबर हिंसा के बारे में जागरुक व सचेत करना ।

▪️ पाक्सो अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधानों के प्रति जागरुक व सचेत करना ।

▪️ किशोरियों के साथ स्वस्थ रिलेशनशिप व जीवनशैली पर जागरुक करना ।

▪️ महिलाओं व बालिकाओं को अपने अधिकारों व सुरक्षा के बारे में समझ व जागरुकता पैदा करना ।

▪️ समुदाय को झूठे मुकदमों से होने वाली क्षति के बारे में जागरुक करना एवं ऐसे मामलों में कमी लाना । विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा हेतु बनाये गये कानूनों का दुरुपयोग के प्रति लोगों को सचेत करना ।

प्रशिक्षित पुलिस / प्रशासन एवं अन्य विभागों की टीम द्वारा ग्राम-ग्राम जाकर महिलाओं और बालिकाओं को उनके अधिकारों तथा पीडित महिलाओं/ किशोरियों की काउंसलिंग व रेफरल सुविधा भी उपलब्ध करायी जा रही है साथ ही सोशल मीडिया एवं साइबर अपराध सम्बन्धी आवश्यक जानकारी भी प्रदान की जा रही है ।

आपरेशन जागृति के प्रमुख मुद्दे –
1. Elopement – यहां इलोपमेंट से मतलब प्रेम प्रसंग के मामले में जिन बालक बालिका द्वारा गलत निर्णय लिया जाता है। उसके संबंध में उनको समझाना । सामान्यत 10 साल से ऊपर और 18 साल से काम के लड़के और लड़कियों में कुछ शारीरिक परिवर्तन होता है। जिसकी वजह से दोनों एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं। इमैच्योरिटी के कारण कुछ भी फैसला ले लेते हैं। कुछ पेरेंट्स होते हैं जो अपने बच्चों को स्पेस नहीं देते। इसलिए बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें। बच्चों की हर छोटी-मोटी बात को ध्यानपूर्वक सुने और उस पर निर्णय लें। बच्चों को समझाएं उनको स्पेस दें और बच्चों के साथ समय बिताएं। वही में बच्चों से भी कहना चाहूंगी कि बच्चे अपने पेरेंट्स को अपना दोस्त समझें। उनके साथ अपनी हर एक प्रॉब्लम और हर एक बात को शेयर करें। अपने टीचर्स से अपनी बातों को शेयर करें। जो पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ ज्यादा ही स्ट्रिक्ट होते हैं, वो बच्चे अपने पेरेंट्स से कोई भी बात शेयर करने में डरते हैं। ऐसे में बच्चे अपनी बातों को अपने पेरेंट्स या अपने टीचर से शेयर नहीं कर पाते और कुछ ना कुछ बड़ा कदम उठा लेते हैं। अगर हम अपने बच्चों के साथ एक मधुर व्यवहार रखेंगे तो बच्चे भी हमारे साथ अपनी हर एक बात को शेयर करेंगे। जिस किसी भी घटना से बचा जा सकता है। जैसे कुछ बालक बालिका जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम होती है किंतु प्रेम प्रसंग में आ जाते हैं और 18 साल से कम उम्र में ही साथ में शादी करके रहना चाहते हैं। इसके बारे में उन बालक बालिकाओं को भली बाती समझना और आयु पूर्ण होने तक अपने करियर पर फोकस करके अगला कदम उठाने के लिए समझना चाहिए।.

2. Cyber Bulling – यहां साइबर बुलिंग से मतलब है कि सोशल मीडिया पर महिला व बालिकाओं के साथ जो अपराध होता है जैसे मान लो कि हमें किसी अंजान लड़के ने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी। तो हम जनरली उसको बिना जाने पहचाने एक्सेप्ट कर लेते है। अब वह लड़का हमसे मैसेज में बात करने लगता है। जबकि हम ना तो उसे लड़के का बैकग्राउंड जानते हैं, ना उस लड़के को जानते हैं और ना ही उस लड़के की इंटेंशन को जानते हैं। फिर वह लड़का हमसे बातचीत करने लगता है। हमारी सारी पर्सनल इनफॉरमेशन लेने लगता है। और धीरे-धीरे करके हम उसके ट्रैप में फंस जाते हैं और एक दिन हमें इसका बहुत बड़ा खामियाजा भूगतना पड़ता है। तो इस तरह अनजान व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट मत कीजिए। वहीं दूसरी और जो बालिकाएं या महिलाएं अपनी फोटो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करती हैं। वो भी बिना किसी प्राइवेसी के। तो कुछ अराजक तत्व उस बालिका अर्थात महिला की फोटो को एडिट करके या उस पर गंदा कमेंट डालकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करता है अर्थात वायरल करता है। जिससे उस महिला या बालिका की छवि खराब होती है। जिससे उसके दिमाग पर गलत असर पड़ता है और उसे बहुत सारी प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ता है। इसलिए बालिकाओं व महिलाओं को भी समझना होगा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी पर्सनल इनफॉरमेशन और फोटो तथा वीडियो को सिक्योरिटी एंड प्राइवेसी के साथ डालें। किसी भी अनजान व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट या फॉलो रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट ना करें। सावधानी के साथ ही सोशल मीडिया पर एक्टिव रहे ।

ऐसे में हमें उन महिलाओं / बालिकाओं की काउंसलिंग करनी है और उनको ट्रामा से बाहर निकलना है । ट्रॉमा थेरेपी का लक्ष्य किसी को दर्दनाक घटना से जुड़ी भावनाओं और भावनाओं को संसाधित करने में मदद करना है और इसे अपने दैनिक जीवन जीने के तरीके में बाधा नहीं बनने देना है । हमें पीड़िताओं की लीगल हेल्प करनी है । पीड़िताओं की काउंसलिंग के लिए डॉक्टर, साइकोलॉजिस्ट, पुलिस आदि शामिल होते हैं जिनके द्वारा काउंसलिंग की जाती है ।

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