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श्रीमान अपर पुलिस महानिदेशक महोदय आगरा जोन, आगरा द्वारा जोन स्तर पर प्रारम्भ किये गये अभियान “ऑपरेशन जागृति” के क्रम में आज दिनांक 07.02.2024 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक फिरोजाबाद के निर्देशन में फिरोजाबाद पुलिस टीम एवं यूनिसेफ टीम के द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर बालिकाएँ, महिलाओं, छात्र / छात्राओं, शिक्षक / शिक्षिकाओं एवं अन्य संभ्रांत व्यक्तियों को ऑपरेशन जागृति के प्रमुख उद्देश्यों से सभी को अवगत कराते हुए जागरुक किया गया –

ऑपरेशन जागृति के प्रमुख उद्देशयः-

▪️ युवा बालिकाओं को साइबर हिंसा के बारे में जागरुक व सचेत करना ।

▪️ पाक्सो अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधानों के प्रति जागरुक व सचेत करना ।

▪️ किशोरियों के साथ स्वस्थ रिलेशनशिप व जीवनशैली पर जागरुक करना ।

▪️ महिलाओं व बालिकाओं को अपने अधिकारों व सुरक्षा के बारे में समझ व जागरुकता पैदा करना ।

▪️ समुदाय को झूठे मुकदमों से होने वाली क्षति के बारे में जागरुक करना एवं ऐसे मामलों में कमी लाना । विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा हेतु बनाये गये कानूनों का दुरुपयोग के प्रति लोगों को सचेत करना ।

प्रशिक्षित पुलिस / प्रशासन एवं अन्य विभागों की टीम द्वारा ग्राम-ग्राम जाकर महिलाओं और बालिकाओं को उनके अधिकारों तथा पीडित महिलाओं/ किशोरियों की काउंसलिंग व रेफरल सुविधा भी उपलब्ध करायी जा रही है साथ ही सोशल मीडिया एवं साइबर अपराध सम्बन्धी आवश्यक जानकारी भी प्रदान की जा रही है ।

आपरेशन जागृति के प्रमुख मुद्दे –
1. Sexual offence against Women – जिनमें से सबसे पहले आता है जैसे कि सामान्यतः हम लोग देखते हैं कि बालिका व महिलाओं के साथ जो अपराध व हिंसा होती है, जिस कारण समाज उसको हीन दृष्टि से देखता है या फिर कहें कि समाज द्वारा उनके साथ दोहरा व्यवहार किया जाता है। तो ऐसे में हमें उस पीड़ित बच्ची और महिला को समझना होगा, उसको सहारा देना होगा । जैसे मैं अभी आपको एक उदाहरण दूं कि एक मोहन नाम का व्यक्ति आगरा जाता है तो बस में रोहित नाम का व्यक्ति उसका पर्स चुरा लेता है। तो यहां पर पीड़ित कौन हुआ? मोहन । तो हम मोहन के साथ अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं। वहीं दूसरी ओर जो रोहित नाम का व्यक्ति, जिसने मोहन का पर्स चुराया था, उसके प्रति कहीं ना कहीं हमारा गलत दृष्टिकोण रहता है। जो कि ठीक है। क्योंकि रोहित ने पर्स चुराया है जो की एक चोर है इसलिए उसके प्रति समाज का दृष्टिकोण ठीक नहीं होता है। लेकिन यदि मैं आपको एक दूसरा उदाहरण दूं कि यदि किसी महिला के साथ कोई लड़का छेड़छाड़, बलात्कार या अन्य कोई अपराध करता है तो ऐसी स्थिति में हम उस लड़की को एक हीन दृष्टि से क्यों देखते हैं जबकि उसके साथ अपराध तो लड़के ने किया है। बल्कि कभी-कभी तो हमारा समाज उस लड़की को स्वीकार करने से भी कतराता है। जो कि गलत है। ऐसे में हमें उस महिला का सहारा बनना है, उसको समझाना है। क्योंकि वो लड़की जिसके साथ इस प्रकार की घटना होती है तो वो सोचती है कि मैं समाज में कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रही हूं । मेरी बहुत बेज्जती हो चुकी है । समाज मुझे हीन दृष्टि से देखेगा और तरह-तरह की बातें उसके दिमाग में आती हैं। जिसकी वजह से वह लड़की ट्रामा में चली जाती है। हमें उसको ट्रामा से निकालना है, उसकी लीगल हेल्प करनी है, ताकि वह अपने जीवन की एक नई शुरुआत कर सके और सम्मान पूर्वक अपना जीवन जियें।

2. False F.I.R – यहां फर्जी एफआईआर से मतलब है कि जो लोग अपने जमीनी विवाद, चुनावी रंजिश आदि को लेकर परिवार की महिला और बेटी को आगे करके, विपक्षी पर अनावश्यक दबाव बनाने हेतु थाने में जाकर झूठी एफआईआर दर्ज कराते हैं। जैसे सामान्यतः गांव में यदि दो पक्षों में मकान, दुकान, खेत अर्थात भूमि के बंटवारे का विवाद है। लेकिन लोग सोचते हैं कि अगर महिला की तरफ से मुकदमा लिखवा दिया जाएगा तो पुलिस द्वारा ज्यादा अच्छी और प्रभावी कार्यवाही की जाएगी। इसलिए कुछ लोग विपक्षी पर अनावश्यक दबाव बनाने हेतु थाने में जाकर, महिला को आगे करके, झूठी एफआईआर दर्ज कराते हैं। जिसका बुरा प्रभाव पड़ता है तथा निर्दोष व्यक्ति के जीवन पर भी बुरा असर पड़ता है और रंजिश बढ़ती चली जाती है। तो हमें इस प्रकार के कामों से बचाना है ।

ऐसे में हमें उन महिलाओं / बालिकाओं की काउंसलिंग करनी है और उनको ट्रामा से बाहर निकलना है । ट्रॉमा थेरेपी का लक्ष्य किसी को दर्दनाक घटना से जुड़ी भावनाओं और भावनाओं को संसाधित करने में मदद करना है और इसे अपने दैनिक जीवन जीने के तरीके में बाधा नहीं बनने देना है । हमें पीड़िताओं की लीगल हेल्प करनी है । पीड़िताओं की काउंसलिंग के लिए डॉक्टर, साइकोलॉजिस्ट, पुलिस आदि शामिल होते हैं जिनके द्वारा काउंसलिंग की जाती है ।

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