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फिरोजाबाद। वर्तमान में अनियमित दिनचर्या, अव्यवस्थित जीवनशैली व सही खानपान न अपनाने से लोगों को असमय तरह-तरह की बीमारियां घेर रही हैं। हर दूसरा व्यक्ति बीपी, मधुमेह, कैंसर, विटामिन की कमी, तनाव आदि में से किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है। इसी परिपेक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को मिलेट्स अपनाने के लिए जागरूक किया है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
मोटे अनाज को मिलेट कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं। एक मोटा दाना और दूसरा छोटा दाना। मिलेट्स में बाजरा, मक्का, जौ, सांबा या सामा, कुटकी (लघु धान्य) को दो, चेना या चीना, रागी, (मंडुआ), झंगोरा, बैरी तथा कंगनी, ज्वार को शामिल किया गया है। सीएमओ डॉ नरेंद्र सिंह का कहना है कि आज के समय में लोगों को मोटे अनाज (मिलेट) को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। मोटा अनाज खाना बंद करने से लोगों को कई तरह के रोगों के साथ कुपोषण की समस्या भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद मिलेट इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में जाने गए हैं। इन्हें सुपरफूड भी कह सकते हैं, मोटा अनाज को पोषक तत्वों का भंडार माना जाता है।
एसएन मेडिकल कॉलेज में डाइटिशियन तृप्ति उपाध्याय का कहना है कि धान और गेहूं के मुकाबले मिलेट में इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले पोषक तत्व आयरन, कैल्शियम, जिंक, फाइबर के साथ-साथ मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन बी-6 विटामिन-3 तथा कैरोटीन फास्फोरस तथा एंटीऑक्सीडेंट होता है। उन्होंने कहा कि मिलेट थायराइड, यूरिक एसिड, किडनी, लीवर, लिपिड रोग तथा अग्नाशय से संबंधित रोगों में काफी लाभदायक होता है क्योंकि यह मेटाबोल्कि सिंड्रोम दूर करने में सहायक हैं। उन्होंने बताया कि मोटा अनाज में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा काफी कम, फाइबर ज्यादा होता है। जिससे बीपी और दिल से जुड़ी समस्याओं का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है। बाजरा, रागी में कैल्शियम होने से हड्डियाँ मजबूत होती हैं। उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों के लिए गेहूं का सेवन हानिकारक माना जाता है। ऐसे में बाजरा, रागी, ज्वार आदि शुगर को कंट्रोल रखने में काफी अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही मिलेट्स त्वचा, बालों से संबंधित तथा श्वास संबंधी रोगों को रोकने में सक्षम है।

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