फिरोजाबाद। चार गतियों में मनुष्य गति ही मात्र ऐसी है, जिसमें संयम धारण किया जाता है। जो मनुष्य संयम-नियम नहीं अपनाता, वह पशु के समान है।
यह नसियाजी मन्दिर में आचार्य विभवसागर की शिष्या आर्यिका अर्ह्नश्री माताजी ने विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक मनुष्य को संयम के साथ जीवन जी कर समाधि मरण धारण करना चाहिए। हमें नगर में आने वाले प्रत्येक साधु को नमन कर अपना सौभाग्य मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिनवाणी माता की चार संतानें हैं- मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका। प्रत्येक श्रावक को मोक्षमार्ग पर चलने के लिए जिनवाणी का स्वाध्याय कर अपना मानव जीवन सार्थक करना चाहिए। धर्मसभा का संचालन राहुल जैन इसौली ने किया।
सांयकालीन धर्मसभा में आर्यिका माताजी ने संस्कार यात्रा के दौरान जीवन जीने का मार्ग बताया। प्रश्नमंच का आयोजन भी हुआ। इस दौरान सही जबाव देने वालों को पुरस्कृत किया गया। कमेटी अध्यक्ष श्यामसुंदर जैन ने बताया कि रविवार को विशेष प्रवचन होंगे। सभी धार्मिक पाठशाला के बच्चों को ध्यान केंद्रित करने एवं याददाश्त बढ़ाने के उपाय बताये जायेंगे। कमेटी ने सभी से अधिकाधिक संख्या में उपस्थित होकर धर्मलाभ प्राप्त करने की अपील की। धर्मसभा में जिनेन्द्र जैन, प्रवीन जैन, डॉ. महेंद्र जैन, अजय जैन बजाज, राज जैन, आशीष जैन आदि मौजूद रहे।

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