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■ सामूहिक प्रयास से उत्तर प्रदेश में हुए कोविड प्रबंधन को आज वैश्विक सराहना प्राप्त हो रही है। टेस्ट हो या टीकाकरण, उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष स्थान पर है। कोविड टीकाकरण के लिए पात्र कुल 15 करोड़ प्रदेशवासियों में से अब तक हमने 9.95 करोड़ लोगों को कम से कम पहली डोज लगा दी है। पौने पांच करोड़ आबादी अभी बाकी है। नवम्बर के अंत तक 100 फीसदी लोगों को फर्स्ट डोज लगाया जाना है। ऐसे में हर दिन का लक्ष्य 25 से 30 लाख डोज लगाने का लक्ष्य रखा गया है। हर जिले में रात्रि 10 बजे तक टीकाकरण का कार्य जारी रखा जाए। इससे कामकाजी लोगों को सुविधा होगी। लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाएं। लक्ष्य के सापेक्ष संतोषजनक प्रगति न होने पर संबंधित जिलाधिकारी व मुख्य चिकित्साधिकारी की जवाबदेही तय की जाएगी।

■ टीकाकरण के लिए ग्राम प्रधानों से लेकर सांसद तक सभी जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाना चाहिए। “प्रथम डोज संतृप्त ग्राम” के माइक्रो लक्ष्य के साथ टीकाकरण किया जाना चाहिए। शहरी वार्डों में “प्रथम डोज संतृप्त वार्ड” की भावना के साथ मिशन मोड में काम किया जाना जरूरी है।

■ जिलाधिकारीगण स्वयं हर दिन सायं 06 से 07 बजे के बीच मुख्य चिकित्साधिकारी के साथ जनपदीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम की समीक्षा करें। राजस्व, ग्राम्य विकास व पंचायती राज विभाग से भी आवश्यकतानुसार सहयोग लिया जाना चाहिए। एडिशनल सीएमओ, डिप्टी सीएमओ टीकाकरण केंद्रों का स्थलीय निरीक्षण करें।

■ कोविड टीकाकरण में सबसे अच्छा प्रयास करने वाले गौतमबुद्ध नगर, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, लखनऊ और झांसी जिलों में 75 फीसदी से अधिक लोगों को टीके की पहली डोज लगाई जा चुकी है। यह स्थिति सराहनीय है। जबकि फिरोजाबाद, बलिया, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, अलीगढ़, सोनभद्र, हॉपुड़, आजमगढ़ और फर्रूखाबाद जिलों की स्थिति में सुधार की अपेक्षा है।

■ सभी जनपदों को उनकी आबादी के अनुसार दैनिक कोविड टीकाकरण का लक्ष्य दिया जाए। शासन स्तर से एक नोडल अधिकारी नियुक्त कर प्रगति की समीक्षा की जाए। इसकी साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को उपलब्ध कराई जाए।

■ छठ महापर्व के उपलक्ष्य में जनभावनाओं का सम्मान करते हुए 10 नवम्बर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए। जिलाधिकारीगण स्थानीय परंपरा/आवश्यकता के अनुरूप निर्णय लेकर इस संबंध में आदेश जारी करेंगे। इसी प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भी सार्वजनिक अवकाश रहेगा।

■ 14 नवम्बर से अयोध्या में पवित्र पंचकोसी और चौदह कोसी परिक्रमा प्रारंभ हो रही है। हापुड़ में गढ़मुक्तेश्वर मेला का आयोजन है। 19 नवम्बर को वाराणसी में देव दीपावली मनाई जाएगी। लाखों श्रद्धालुओं की सहभागिता होगी। इसी प्रकार, बलिया में ददरी मेला तथा एटा, बरेली, कानपुर, रायबरेली में भी विभिन्न मेलों का आयोजन होना है। यह परिक्रमा/मेले हमारी संस्कृति-परंपराओं का अभिन्न हिस्सा हैं। यह सुनिश्चित किया जाए कि इनकी अनुमति के लिए लोगों को परेशान न होना पड़े।लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का लिए जागरूक करें।

■ छठ महापर्व सहित कार्तिक माह के मेलों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की सहभागिता होती है। ऐसे में नदी घाटों पर स्वच्छता, सुरक्षा, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, पार्किंग, पेयजल सहित जनसुविधा के व्यवस्थित प्रबंध किए जाएं। इस संबंध में स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप तैयारी की जानी चाहिए।

■ 01 नवम्बर से पूरे प्रदेश में धान क्रय प्रारंभ हो चुका है। जिन क्रय केंद्रों का संचालन अब तक प्रारंभ नहीं हो सका है, अगले 48 घण्टे की अवधि के भीतर क्रियाशील कर दिए जाएं। एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार सहित सभी प्रमुख अधिकारी हर दिन क्रय केंद्रों का स्थलीय निरीक्षण करें। जनपद स्तर पर नोडल अधिकारी तैनात करते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि एक भी किसान की ओर से साथ घटतौली की शिकायत न आये। किसानों की जरूरतों/सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाए। धान क्रय से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया में लापरवाही स्वीकाए नहीं की जाएगी।

■ प्रदेश में डीएपी खाद की पर्याप्त उपलब्धता है। सभी जनपदों में इसकी सप्लाई चेन सुचारू रखी जाए। सीमावर्ती जनपदों में तस्करी की घटना न हो। इसके लिए अतिरिक्त सतर्कता अपेक्षित है। यह सुनिश्चित करें कि डीएपी की कालाबाजारी, तय मूल्य से अधिक पर बिक्री न हो। शासन स्तर पर अपर मुख्य सचिव कृषि और प्रमुख सचिव सहकारिता के समीक्षा करेंगे।

■ निराश्रित गो-आश्रय स्थलों पर हरे चारे की पर्याप्त उपलब्धता और ठंड से बचने के प्रबंध होने चाहिए। कोई दिक्कत हो तो तत्काल प्रमुख सचिव पशुपालन को अवगत कराएं। स्थानीय स्तर पर राजस्व विभाग के एक अधिकारी द्वारा इन स्थलों की दैनिक समीक्षा कराई जाए।

■ गोवंश सहभगिता योजना के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। इसी प्रकार, पोषण मिशन अंतर्गत कुपोषित बच्चों वाले परिवारों को एक-एक गाय उपलब्ध कराई जा रही है। इन्हें गोवंश पालन के लिए ₹900 माहवार दिए जा रहे हैं। कई जनपदों ने इस कार्यक्रम को बहुत अच्छे ढंग से आगे बढ़ाया है। आवश्यक है कि जिन परिवारों को गो-वंश उपलब्ध कराये गए हैं, उनके आवास पर निरीक्षण कर गोवंश पालन की व्यवस्था को देखा जाए। कहीं कोई दुर्व्यवस्था न हो।

■ इस वर्ष अत्यधिक ठंड पड़ने की संभावना है। ऐसे में अभी से ही रैन बैसरों की व्यवस्था दुरुस्त कर लें। नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं। स्थानीय नगर निकाय के साथ मिलकर पुलिस यह सुनिश्चित करे कि एक भी गरीब/निराश्रित फुटपाथ, चौराहे, किसी प्रतिमा के नीचे रात्रि-विश्राम न करे। लगातार गश्त करते हुए ऐसे लोगों को तुरंत रैन बसेरों में स्थान दिलाया जाए।

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