WhatsApp Image 2024-03-22 at 8.27.56 PM
WhatsApp Image 2024-03-22 at 8.27.56 PM (1)
WhatsApp Image 2024-03-22 at 8.27.55 PM

उत्तराखंड:- हर साल दिवाली आने पर उल्लुओं का शिकार बढ़ जाता है। अन्धविश्वास में कई तांत्रिक उल्लुओं के अंगो से साधना करते हैं और ऐसा करने के लिए शिकारियों से ऊँचे दामों में भी उल्लुओं को खरीद लेते हैं। राजाजी टाइगर रिज़र्व में भी साल के दिवाली वाले समय में, उल्लू के शिकरी बढ़ जाते हैं। यहीं कारण है कि इस बार रिज़र्व के सभी दस रेंजों में शिकारियों पर कड़ी नज़र रखी जाएगी। इतना ही नहीं कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में नज़र रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा।

रिज़र्व से जानकारी मिली है कि चीला, मोतीचूर समेत सभी रेंजों में शिकारियों पर कड़ी नज़र है। शिकारियों के पकड़ने के लिए आस पास के गांव के लोगों की भी मदद ली जा रही है। उन शिकारियों पर ख़ासा नज़र है जो पहले भी इन मामलों में गिरफ्तार हो चुके हैं। टीम बनाई जा चुकी हैं जो थानो, झाझरा, आशारोड़ी, समेत कई क्षेत्रों के जंगलों में तैनात है। अगर कोई भी शिकार करता पाया गया तो उसे गिरफ्तार कर उस पर कानूनन कार्यवाही की जाएगी।

इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरवेशन ऑफ नेचर के अनुसार उल्लू विलुप्त हो रहीं प्रजातियों में से हैं। उल्लू ना सिर्फ हमारे देश में बल्कि पूरे विश्व में ही तेज़ी से विलुप्त होते जा रहे हैं। इनका संरक्षण करने के लिए बहुत सी योजनाएं भी चलाई गईं हैं। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति उल्लुओं का शिकार करते पकड़ा जाता है तो उसे तीन साल तक की सज़ा और पच्चीस हज़ार तक का जुर्माना हो सकता है।

About Author

Join us Our Social Media