सिरसागंज। विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर जिला विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक अश्वनी कुमार जैन ने बताया कि हम सभी को ओजोन परत के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है। ओजोन वायुमंडल के समतापमंडल में स्थित होती है। समताप मंडल में उपस्थित ओजोन परत पृथ्वीवासियों के लिए एक वरदान है। क्योंकि यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है और इस प्रकार पृथ्वी पर रहने वाले जीव जंतुओं की हानिकारक विकिरणों से रक्षा करती है। समतापमंडल में ओजोन का निर्माण ऑक्सीजन पर सूर्य के प्रकाश की क्रिया द्वारा होता है। समतापमंडल में स्थित ओजोन का निरंतर प्राकृतिक रूप से तथा मनुष्यों द्वारा वायुमंडल में निर्गत रसायनों के द्वारा क्षय होता रहता है। ओजोन परत का अवक्षय मुख्य रूप से नाइट्रिक ऑक्साइड, परमाण्विक ऑक्सीजन तथा हाइड्रॉक्सिल मूलकों की उपस्थिति के कारण होता है। मानव निर्मित क्लोरोफ्लोरोकार्बनस भी ओजोन परत के अवक्षय के लिए उत्तरदाई हैं। इन क्लोरोफ्लोरोकार्बनस का उपयोग रेफ्रिजरेटरस तथा वातानुकूलन मशीनों में शीतलक के रूप में तथा अन्य अनेक कार्यों में किया जाता है। पर्यावरण के लिए क्लोरोफ्लोरोकार्बनस अत्यंत घातक है। क्योंकि ये ओजोन परत का अवक्षय करते हैं। जिसके कारण ओजोन छिद्र का निर्माण होता है। ओजोन परत का अवक्षय तथा ओजोन छिद्र का निर्माण मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। ओजोन परत के अवक्षय के कारण पृथ्वी पर आने वाली पराबैंगनी विकिरण की मात्रा बढ़ जाती है। पराबैंगनी विकिरण मनुष्यों के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं। इनके प्रभाव से त्वचा का काला पड़ना, त्वचा में वृद्धता, ल्यूकेमिया, दृष्टि में धुंधलापन, त्वचा कैंसर, स्तन कैंसर, समय से पूर्व वृद्धावस्था लक्षण आदि रोग हो सकते हैं। पराबैंगनी विकिरण के प्रभाव से डीएनए विखंडन, डीएनए की स्वयं की प्रतिकृति बनाने के गुण में परिवर्तन और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। वर्तमान में हम सभी को स्वयं एवं समस्त विश्व को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हुए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करते हुए उन वृक्षों की देखभाल भी करें।