यह विभाजन का बीज जिस भी समाज या देश में पड़ जाता है, उसको अलगाव जैसी स्थितियों का सामना पडता है: मुख्य विकास अधिकारी
यह दिवस आने वाली पीढ़ियों को यह सीख देता है, कि आपसी भेदभाव को दूर करें आपस में परस्पर मैत्री भाव रखें, आपसी सद्भाव से ही सच्चे राष्ट्र की नीव रखी जा सकती है।
भारत विभाजन भारतीय इतिहास की एक ऐसी त्रासदी एवं दुखद घटना है जो हर भारतीय के माथे पर एक कलंक के समान है इस तरह की कोई ओर त्रासदी कभी ओर न हो, इसी को भावी पीढीयों को संज्ञानित कराने के लिए भारत सरकार द्वारा 14 अगस्त को विभाजन विभिषका के रूप में मनाया जा रहा है, इस दिन भारत का विभाजन दो टूकडों में हो गया बडी संख्या में लोगों का पलायन एक स्थान से दूसरे स्थान पर हुआ, ‘‘यशपाल का उपन्यास झूठा सच, राम मनोहर लोहिया की रचना भारत विभाजन के गुनेहगार, कमलेश्वर की रचना कितने पाकिस्तान में,‘‘ इस त्रासद और दुखद घटना को पढ़ा जा सकता है कि किस तरह से हिन्दु और मुस्लिम दोनो इस त्रासद घटना से प्रभावित हुए, दोनो ने अपनों को खोया। इस विभाजन ने एसी कटट्रता और दुश्मनी को जन्म दे दिया जिसका दुख और वेदना हम आज भी सहन कर रहे है।
इसी त्रासदी घटना को लेकर जनपद के विकास भवन सभागार कक्ष में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। साथ ही इस विभाजन पर चिंतन और मनन हेतु एक बैठक का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य विकास अधिकारी शत्रोहन वैश्य ने कहा कि ‘‘यह घटना मानव जाति की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है, एक बडी संख्या में लोगों की जाने गयी, अंग्रेजों की विभाजनकारी नीति ने विभाजन के दंश के झेलने के लिए हमें मजबूर किया।‘‘ मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि यह विभाजन का बीज जिस भी समाज या देश में पड़ जाता है, उसको अलगाव जैसी स्थितियों का सामना पडता है, इसलिए यह दिवस आने वाली पीढ़ियों को यह सीख देता है, कि आपसी भेदभाव को दूर करें आपस में परस्पर मैत्री भाव रखें, आपसी सद्भाव से ही सच्चे राष्ट्र की नीव रखी जा सकती है। इस अवसर पर बोलते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि इस त्रासद घटना में 5 लाख से ज्यादा लोग मारें गये, इस घटना का सबसे ज्यादा दंश मातृ शक्ति नेे झेला। इस घटना की भरपाई पीढ़ियोें तक नही हो पाएगी, इसलिए यह घटना हमें सीख देती है कि प्रेम, सद्भाव और भाईचारा से रहे और राष्ट्र की एकता और अखण्डता को मजबूत करें। इस अवसर पर दो मिनट का मौन व्रत भी रखा गया।