फिरोजाबाद/26 नवम्बर/सू0वि0 जिलाधिकारी डॉक्टर उज्जवल कुमार की अध्यक्षता में भारतीय संविधान दिवस का आयोजन रविवार को प्रातः 10 बजे कलेक्ट्रेट सभागार में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ जिलाधिकारी ने अपर जिलाधिकारी अभिषेक कुमार सिंह, सहित सभी कर्मचारियों को भारतीय संविधान की शपथ के साथ ही संविधान में दिये गये मूल कर्तव्यों को पालन करने की शपथ दिलाई। उन्होने सभी से हाथ उठवाकर शपथ दिलाई कि ‘‘हम सत्य निष्ठा से प्रतिज्ञा करते है कि भारत के संविधान में दिये गये मूल कर्तव्यों का पालन करेंगे, संवैधानिक आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज व राष्ट्रीय प्रतीकों का आदर करेंगे। देश की संप्रभुता अखण्डता की रक्षा करेेंगे। महिलाओं का सम्मान करेंगे। हिंसा से दूर रहकर बंधुता बढ़ाऐंगें। समासिक संस्कृति का संवर्द्धन व पर्यावरण का संरक्षण करेंगे। वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करेंगे। सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करेंगे। व्यक्तिगत व सामूहिक गतिविधि में उत्कृष्टता बढायेंगे। सबको शिक्षा के अवसर प्रदान करंेगे एवं स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शों का बढ़ावा देंगें‘‘
कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि 26 नवम्बर 1949 को हमारा संविधान अंगीकृत किया गया था तथा 26 जनवरी 1950 को यह प्रभावी हुआ जिसे हम प्रत्येक गणतंत्र दिवस के रूप मंे मनाते है। उन्होने कहा भारत के संविधान को सर्वांेच्च दस्तावेज के रूप में माना जाता है। हमारें संविधान में सरकार और नागरिकों के अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों का भी विस्तार से उल्लेख किया गया है क्योंकि संविधान निर्माता डा0 भीमराव अम्बेडकर का मानना था कि आजादी का मतलब सिर्फ अधिकार पाना तक नही हैं। उन्होने संविधान सभा में दियें गये भाषण में कहा था ‘‘स्वतंत्रता आनंद का विषय है पर स्वतंत्रता ने हम पर बहुत जिम्मेदारियां डाल दी है। अब यदि कुछ गलत होता है तो हम किसी ओर को नही, स्वंय को ही दोषी ठहरा सकेंगे‘‘।
जिलाधिकारी ने कहा कि समय तेजी से बदला है यदि हम संविधान को सुरक्षित रखना चाहते है तो हमें प्रतिज्ञा करनी चाहिऐं कि हम हमारें रास्ते में खडी बुराईयों की पहचान करने और उन्हे मिटाने में ढिलाई नही करेंगें। देश की सेवा करने का यही एक अच्छा रास्ता है। उन्होने कहा कि इससे बेहतर दूसरा रास्ता नही हो सकता।
कार्यक्रम के दौरान अपर जिलाधिकारी ने कहा कि संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति जागरूक करना तथा समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना तथा अपनी जिम्मेदारियों को समझना है जिससे कि एक ऐसा सामाजिक प्रजातंत्र बनाया जा सकें जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुता को जीवन के सिद्धांतों रूप में स्वीकार करें। उन्होने कहा कि तभी हम एक राष्ट्र बनने की आवश्यकता को ठीक से समझ सकेंगें एक ऐसा राष्ट्र जिसकी कल्पना डा0 भीमराव अम्बेडकर ने की थी। उन्होंने भारतीय संविधान को विश्व का सबसे खुबसूरत संविधान बताया।