जिलाधिकारी रवि रंजन ने बताया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अन्तर्गत प्रदेश में अन्त्योदय तथा पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों को खाद्यान्न, जिसमें गेहूं व फोर्टिफाइड चावल सम्मिलित है का वितरण कराया जा रहा है। उक्त के अतिरिक्त मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण एवं बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की विभिन्न योजनान्तर्गत भी फोर्टिफाइड चावल का वितरण छात्रों व बच्चों में सुनिश्चित कराया जा रहा है। कुपोषण एवं एनिमिया जैसी समस्याओं से मुक्ति हेतु वितरित कराए जाने वाला फोर्टिफाइड चावल मुख्यतः आयरन, फोलिक एसिड तथा विटामिन बी-12 जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है। ज्ञातव्य है कि विटामिन एवं खनिजों के मिश्रण से तैयार राइस केरनेल को सामान्य चावल में 01 प्रतिशत के अनुपात में मिश्रित करते हुए फोर्टिफाइड चावल बनाया जाता है। उन्होने बताया है कि यह तथ्य संज्ञानित हुआ है कि कतिपय जनपदों में फोर्टिफाइड चावल के प्लास्टिक चावल होने तथा इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने जैसी निराधार भ्राँतियाँ आमजनमानस में व्याप्त है। इन भ्राँतियों को दूर किए जाने हेतु यह आवश्यक है कि विभिन्न माध्यमों से फोर्टिफाइड चावल के गुणों के सम्बन्ध में आमजनमानस में इसका प्रचार-प्रसार किया जाए। उन्होने बताया है कि फोर्टिफाइड चावल से होने वाले लाभों के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा जिंगल, ऑडियो-वीडियो क्लिप्स व अन्य प्रचार-प्रसार के सैम्पल टेम्प्लेटस निर्मित किए गए हैं।
उन्होने सम्बन्धितों को निर्देश दिए है कि भारत सरकार द्वारा निर्मित जिंगल, ऑडियो-वीडियो क्लिप को उचित दर विक्रेताओं के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं के वितरण हेतु निर्धारित वितरण चक्र के दौरान वितरण दिवसों पर कार्डधारकों सहित अन्य जनमानस को सुनाया व जागरूक किया जाए। फोर्टिफाइड चावल के सम्बन्ध में भ्राँतियां दूर करने एवं आमजनमानस को जागरूक करने में महिलाओं एवं बच्चों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र एवं मध्यान्ह भोजन योजना से आच्छादित विद्यालयों में फोर्टिफाइड चावल के सन्दर्भ में विभिन्न प्रचार माध्यमों का प्रयोग कर व्यापक जागरूक अभियान चलाया जाए। उचित दर दुकानों, आंगनवाड़ी केन्द्रों तथा प्राथमिक विद्यालयों में फोर्टिफाइड चावल के केरनेल का सूक्ष्म मात्रा में सैम्पल संरक्षित किया जाए तथा विद्यालय व आंगनवाड़ी केन्द्रों से सम्बन्धित छात्रों व बच्चों, अभिभावकों, अध्यापकों, आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों, रसोइयों तथा उचित दर विक्रेताओं एवं उनसे सम्बद्ध कार्डधारकों को साधारण चावल एवं फोर्टिफाइड चावल के मध्य अंतर की विषय वस्तु के सम्बन्ध में पर्याप्त तौर पर जागरूक किया जाए। उन्होने बातया है इलेक्ट्रोनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से भी फोर्टिफाइड चावल की भी कुपोषण से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए उसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। उन्होने निर्देश दिए है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर हेल्थ वर्कर को सक्रिय करते हुए आमजनमानस में एनीमिया आदि रोगों से मुक्ति दिलाने में फोर्टिफाइड चावल के योगदान का प्रचार-प्रसार कराया जाए एवं फोर्टिफाइड चावल के प्रयोग से कुपोषण को समाप्त करने हेतु किए गए प्रयासों का मूल्यांकन भी समय-समय पर कराया जाए। तहसील स्तर, ब्लाक स्तर, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्रत्येक ग्राम सभा मे पंचायत भवन, प्राथमिक विद्यालय व उच्चतम माध्यमिक विद्यालय, जन सेवा केन्द्रो व उचित दर दुकानों पर जिंगल, ऑडियो-वीडियो क्लिप्स चलवाकर व पैम्पप्लेट होर्डिग के माध्यम से आम जनमानस में प्रचार- प्रसार कराना सुनिश्चित करें।