जिला कारागार मंे कैदियांे के मानसिक स्वास्थ्य सुधार शिविर का सीडीओ ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया शुभारम्भ और अपने उद्बोधन से कैदियों के जेल समय को सकारात्मक व उत्पादक बनाने की दी दिशा।
मुख्य वक्ता लक्ष्मण माहेश्वरी ने कैदियों से जुडते हुए उनकी मनोवैज्ञानिक दशा को जाना और तनाव प्रबन्धन, क्रोध पर नियंत्रण, लक्ष्य प्रेरित मानसिकता आदि पर विस्तार से बताया।
सकारात्मक जीवन हर मनुष्य का अधिकार है, इस सोच को दिशा देते हुए शनिवार को प्रातः 10 बजे से जनपद की जिला कारागार में मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन व जैल अधीक्षक अरून कुमार ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया। शिविर के प्रारम्भिक उद्बोधन में मुख्य विकास अधिकारी ने कैदियांे के मानसिक स्वास्थ्य पर बल देते हुए कहा कि शारिरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक रूप से स्वस्थ्य होना बेहद जरूरी है, तभी आप अपने घर परिवार व राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान कर सकते है। उन्होने कहा कि सकारात्मक जीवन हर मनुष्य का अधिकार है, संकीर्ण मानसिकता के कारण इसमें नकारात्मकता आ जाती है, जिसके कारण आपके द्वारा आपराधिक कृत्य हो जाते है और परिणामस्वरूप आज आप यहां पर है। इस नकारात्मकता, क्रोध पर नियंत्रण, भावनात्मक जागरूकता, तनाव प्रबन्धन के लिए इस शिविर को आयोजित किया गया।
मानसिक स्वास्थ्य सुधार शिविर के मुख्य वक्ता व अक्षुण्ण प्रोजेक्ट के प्रमुख लक्ष्मण माहेश्वरी ने कैदियों से जुडते हुए उनकी मनोवैज्ञानिक दशा को जाना और तनाव प्रबन्धन, क्रोध पर नियंत्रण, लक्ष्य प्रेरित मानसिकता आदि पर विस्तार से बताया। वह बोलते-बोलते सीधे कैदियों के बीच पहुंचकर उनसे सीधा स्थापित किया और उनके मन में चल रहे प्रश्नोें को जाना जिसमें अलग-अलग कैदियों ने अपनी मन की गांठों को खोला, जिस पर माहेश्वरी ने एक-एक कर सभी कैदियों का दृष्टिकोण परिवर्तित करने की पूरी कोशिश की। उन्होने विभिन्न नित्य जीवनोपयोगी विषयों जैसे कि तनाव प्रबन्धन, भावनात्मक जागरूकता, क्रोध पर नियंत्रण, लक्ष्य-प्रेरित मानसिकता आदि पर विस्तार से बताया। उन्होने जेल और जीवन के बीच में समानता देते हुए बताया कि आगे जीवन की दिशा आपके हाथ में है।
कार्यक्रम के दौरान जैल अधीक्षक अरूण कुमार, जिला सूचना अधिकारी दयाशंकर व जेलर आनन्द ने बताया कि जीवन में दृष्टिकोण बदलना अति महत्वपूर्ण है, उन्होेने कैदियों को महाभारत के दौरान अर्जुन की मनोस्थिति का वर्णन करते हुए कहा कि वह युद्ध के प्रारम्भ में ही अपने अस्त्र-शस्त्र उठाने को तैयार नही थे, फिर श्रीकृष्ण ने उनकी मनोस्थिति को बदलते हुए जीवन के अनेक मंत्र दिए। कार्यक्रम का संचालन आदेश अग्रवाल ने किया।