फिरोजाबाद। अखिल भारतीय सोहम् महामंडल शाखा के तत्वावधान में आयोजित संत सम्मेलन में सोहम् मंडल के अध्यक्ष स्वामी सत्यानंद महाराज ने कहा कि जीवन को सफल बनाने के लिए परमार्थ के मार्ग पर चलना चाहिए। निस्वार्थ सेवा ही सच्चा परमार्थ है।
उन्होंने कहा कि संतों के मुख से कथा सुनने से हृदय की गंदगी दूर होती है। कथा तो अमृत समान होती है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि में ही परमब्रह्म हॅंू,ं में ही परम पिता हूं मेरे लिए कर्म करो सबसे बड़ी भावना भाव की होनी चाहिए। रामायण के मर्मज्ञ स्वामी ज्ञानानंद ने रामायण की महत्ता पर बोलते हुए कहा कि रामायण में भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जाना जाता है। उन्होंने मर्यादाओं में रहकर राजकाज किया। इसलिए आज रामराज्य की कल्पना की बात की जाती है। हमेशा धन साथ नहीं देता, दान हमेशा बढ़कर ही पुण्य फल देता है। बच्चों को धर्म के साथ दान के भी संस्कार देने चाहिए। स्वामी प्रणबानंद महाराज ने कहा कि जब तक इस मन को संसार से छुटकारा नहीं दिलाओगे तब तक भगवान को नहीं पा सकोगे। स्वामी प्रज्ञानंद महाराज, नारायणानंद महाराज, आनंतानंद महाराज ने भी अपने धार्मिक विचारों से श्रद्धालुओं को अवगत कराया।. संत सम्मेलन व संत समागम में आरती के समय चंद्र प्रकाश शर्मा, दिवजेंद्र मोहन शर्मा, उमाकांत पचैरी एडवोकेट, सर्वेस दीक्षित, पंडित रामदेव शर्मा, डॉ महेश शर्मा, प्रवीन अग्रवाल, संजय अग्रवाल, गोपाल बिहारी अग्रवाल, महेंद्र छोटे, सुनील बंसल, मातादीन यादव, शिव नारायण यादव, राजेश गुप्ता, विद्याराम, जगदीश यादव, दिनेश लहरी, महेश चंद्र यादव, लल्ला पहलवान, अनुग्रह गोपाल अग्रवाल, धर्मेंद्र कुमार, विनोद अग्रवाल, अश्वनी शर्मा आदि मौजूद रहे।

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