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प्रतापगढ़। उत्तराखंड के चमेली में हुए भूस्खलन में शहीद हुए नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर योगेश तिवारी का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव बलीपुर परसन गांव पहुँचा,जिसके बाद परिजनों में कोहराम मच गया,वही शहीद योगेश के अंतिम दर्शन पाने के लिए ग्रामीणों की हजारो की संख्या में हुजूम उमड़ पड़ा,इस दौरान देश भक्तों की तरफ से योगेश भैया अमर रहे नारे भी लगाए जाते रहे,वही राजकीय सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई,वहीं हजारो लोगो ने नम आंखों से विदाई दी,आपको बताते चले कि एक अक्टूबर को त्रिशूल पर्वत पर 10 पर्वतारोहियो की टीम के साथ तिरंगा फहराने जा रहे थे,इस दौरान हिमस्खलन होने के चलते वह लापता हो गए थे,वही बीते शनिवार को उनका पार्थिव शरीर मिला तो सेना के अफसरों द्वारा उनके परिजनों को सूचना दी गयी तो घर पर कोहराम मच गया,वही 2001 में प्रतापगढ़ के जेठवारा के बलीपुर गांव के रहने वाले योगेश तिवारी का चयन लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ था,उनकी तैनाती उत्तराखंड में थी,

सीएम ने सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा

प्रतापगढ़ के लाल योगेश की शहीद होने की सूचना पर प्रतापगढ़ में शोक की लहर दौड़ गयी,वही सीएम योगी ने तत्काल शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपये,एक सरकारी नौकरी,शहीद द्वार,शहीद योगेश के नाम पर मुख्य गांव की सड़क का नामकरण करने का सीएम ने घोषणा की,जिसके बाद सीएम के निर्देश पर भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता और विश्वनाथगंज विधायक ने घर पहुच कर परिजनों को 50 लाख का चेक सौंपा,और शहीद योगेश की वीरता को नमन करते हुए उनको श्रधांजलि भी दिया,

हर तरफ शहीद लेफ्टिनेंट कमांडर योगेश तिवारी के जज्बे की चर्चा

शहीद लेफ्टिनेंट कमांडर योगेश तिवारी की बहादुरी की चर्चा चारो ओर है,दो अक्टूबर को त्रिशूल पर्वत पर झंडा रोहन करने जा रहे 10 पर्वतरोहियो की टीम हादसे की चपेट में आ गयी,वही योगेश त्रिपाठी इसी हादसे में शहीद हो गए,इससे पहले उन्होंने पहाड़ी दर्रे पार करने,सबसे लंबी दूरी तक साईकल चलाने,लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाने,और गिनीज बुक में नाम दर्ज होने के प्रस्तावित था,गांव में सभी इस बात की चर्चा को करते रहे।

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