फ़िरोज़ाबाद। सेठ छदामीलाल श्री महावीर जिनालय में इन दिनों देव, शास्त्र, गुरु महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रतिदिन अनेकों धार्मिक कार्यक्रम सम्पन हो रहे हैं। महोत्सव के अंतिम दिन मंगलवार को आचार्य सुरत्न सागर ससंघ के सानिध्य मे परम पूज्य केवल्य ज्ञानी आचार्य विमल सागर का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। प्रातः काल से ही सैंकड़ो की संख्या मे मुनिश्री के भक्त श्री महावीर जिनालय मे एकत्रित होने लगे। हर कोई मुनिश्री की वात्सल्य मई मूर्ति को एक तक निहार रहा था।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुनिश्री की मूर्ति को स्वर्णमई पालकी में विराजमान कर मंदिर प्रांगण मे पालकी यात्रा निकली गई। जिसमे सबसे आगे जैन धवज पताका मुनिश्री के जन्मोत्सव आनंद का संकेत दे रही थी। ध्वज पताका के पीछे बेंड बाजों की मधुर ध्वनि के साथ जिनभक्त भगवान आदिनाथ की पालकी एवं गुरुभक्त मुनिश्री की पालकी अपने कंधे पर लिए हुए चल रहे थे। उसके पीछे महिला गुरुभक्तों का एक बड़ा समूह माँ जिनवाणी को पालकी में विराजमान कर अपने कंधों पर लेकर चल रही थीं। समस्त मंदिर प्रांगण मुनिश्री के जयकारों से गूंज रहा था। मुनिश्री की पालकी यात्रा के सारथी धीरेन्द्र जैन, जितेंद्र जैन जीतू, प्रशांत जैन एवं राहुल जैन के साथ अनेकों गुरुभक्त बने। पालकी यात्रा मंदिर प्रांगण में बने विशाल पंडाल में सम्पन हुई। जहां पर आचार्य सुरत्न सागर ने अपने संघ के साथ विमल सागर की मूर्ति का जलाभिषेक किया। शांतिधारा का सौभाग्य सुरेश चंद्र जैन एवं प्रशांत जैन को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात दिल्ली से पधारे सतीश चंद्र जैन शास्त्री के मंत्रोंच्चारण के साथ शांतिविधान सम्पन हुआ। जिसका अनेकों गुरुभक्तों ने जमकर धर्म लाभ लिया।

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