उत्तर प्रदेश में रविवार शाम को 7 मंत्रियों ने शपथ लो और योगी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। सीधे तौर पर देखा जाए तो इस कैबिनेट विस्तार के जरिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण, दलित और ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। इस कैबिनेट विस्तार में 7 नए मंत्रियों ने शपथ ली। जिसमें 1 ब्राह्मण, 3 ओबीसी और 3 एससी हैं। खास बात ये है कि 7 में से सिर्फ 1 को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है और बाकि को राज्यमंत्री बनाया गया है।
कौन हैं जितिन प्रसाद, जिन्हें बनाया गया कैबिनेट मंत्री?
जितिन प्रसाद हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे और उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण नेता के रुप में अपनी पहचान रखते हैं। इससे पहले वो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। जितिन प्रसाद के पिता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं जिन्होनें सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा था। जितिन प्रसाद ने पहली बार उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से साल 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होनें साल 2009 में धौरहरा सीट जीत दर्ज की।
क्या है जितिन प्रसाद की ताकत?
2004 में जब जनता ने उन्हें बम्पर वोटों से जिताया तो उसके बाद उन्होनें जनता की खूब सेवा की। 2009 में धौरहरा सीट से जीतने के बाद उन्होनें धौरहरा क्षेत्र में कई सड़कों का निर्माण करवाया। इसके अलावा लोगों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिलाने का अभियान चलाया, गरीबों के छप्परों की जगह टीन की चादरें डलवाईं, कई अस्पताल खुलवाए और कई स्कूल भी संचालित करवाए। अपने इन कामों के द्वारा ही उन्होनें जनता के दिल में जगह बनाई।
जितिन प्रसाद से बीजेपी को क्या मिला?
दरअसल उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां ब्राह्मण वोट बैंक की अपनी ही अहमियत रही है। लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वर्ग में पार्टी के प्रति असंतोष पनपने की बात कही जा रही है। वहीं जितिन प्रसाद पश्चिमी यूपी में ब्राह्मण समुदाय का एक बड़ा चेहरा हैं। शाहजहाँपुर ,लखीमपुर, सीतापुर आदि जगहों पर उनकी अच्छी खासी पकड़ है। इन जगहों पर जितिन प्रसाद को विकास कार्यों के लिए जाना जाता है। जितिन प्रसाद कांग्रेस में रहकर ब्राह्मणों के कल्याण के लिए बेहद सक्रिय थे। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जितिन प्रसाद को कैबिनेट मंत्री बनाकर ब्राह्मणों को मनाने की कोशिश बीजेपी ने की है। हालांकि कैबिनेट विस्तार से पहले 9 मंत्री ब्राह्मण समाज से आते हैं।
गोरतलब है कि अब कुछ ही महिनों का समय बचा है उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि ये कैबिनेट विस्तार आने वाले समय में बीजेपी के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है?