फिरोजाबाद। नगर गणेश पूजा एवं पर्युषण पर्व में धर्ममय बना हुआ है। अनेकों जैन मंदिरों में नित्य प्रति जिनाभिषेक, शांतिधारा के पश्चात विशेष रूप से दशलक्षण पर्व पूजन विधान एवं दोपहर में धर्म चर्चा तथा रात्रि में महा आरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हो रहे है।
शनिवार को आचार्यश्री सुरत्न सागर मुनिश्री ने धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धांलुओं को अकिंचन धर्म का महत्व को बताया। वही नसिया जी मंदिर में जलधारा के दौरान आचार्य विवेकसागर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज आकिंचन धर्म का दिन है। आकिंचन का अर्थ है आकिंचन का अर्थ है मेरे अतिरिक्त कुछ भी नहीं है इसी भाव का नाम आकिंचन है। आज रिक्त होने का दिन है। आकिंचन धर्म आत्मा की उस परिणति का नाम है जहां पर बाहरी सब कुछ तो छूट जाता है। किंतु आंतरिक संकल्प विकल्पों की परिणति को भी विश्राम मिल जाता है। परिग्रह का परित्याग कर परिणामों को आत्मकेंद्रित करना ही आकिंचन धर्म की भावधारा है। जो भी अपने शरीर और मन पर विजय पा जायेगा वही आकिंचन हो जायेगा। कार्यक्रम में अजय जैन मौजूद रहे।

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