फिरोजाबाद। दाऊदयाल महिला महाविद्यालय में संस्कृत विभागाध्यक्षा इन्द्रारानी गुप्ता के कुशल निर्देशन में संस्कृत भाषा की उत्पत्ति, विकास एवं संस्कृत भाषा की वर्तमान परिवेश में दिशा और दशा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ छाया बाजपेई ने संस्कृत का महत्व बताते हुए कहा कि संस्कृत एक ऐसी भाषा है जो हमारे जीवन के दैनिक क्रियाकलापों के माध्यम से हमें प्रभावित करती है। डॉक्टर अंजू गोयल ने कहा कि आज संस्कृत के प्रति लोगों में उदासीनता नजर आती है। लेकिन यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। इसका शब्दकोश बहुत विशाल है। 102 अरब, 78 करोड़, 50 लाख शब्दों से युक्त यह भाषा अधिक सरस, मधुर एवं सारगर्भित है। विदेशों में भी संस्कृत को बड़े सम्मान से पढ़ाया जाता है। जर्मनी में संस्कृत भाषा के 06 विश्वविद्यायल संचालित हैं। भारत एक ऐसा देश है जिसमें संस्कृत भाषा का प्रादुर्भाव हुआ। जिसमें वेद, पुराण, उपनिषद, स्मृतियां, ऋचाएं आदि ग्रंथों की रचनाऐं हुई। अपनी भाषा गौरव, देश की संस्कृति एवं सभ्यता को बचाए रखने के उद्देश्य से ही संस्कृत सप्ताह मनाया जा रहा है। डॉ माधवी सिंह ने कहा कि संस्कृत में रचित साहित्य उच्च कोटि का साहित्य है इसमें कालिदास, बाणभट्ट, वामन रूद्रट, दंडी आदि साहित्यकारों ने नीतिपरक साहित्य सर्जन कर समाज को नई दिशा देने का भरसक प्रयास किया है। डॉ ज्योति अग्रवाल ने संस्कृत में शिव स्तुति का गायन कर कार्यक्रम को सफल बनाया। महाविद्यालय में अध्ययनरत खुशबू कुमारी, ज्योति एवं रंजना ने संस्कृत भाषा पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचायल डा. अंजू गोयल ने किया। अंत में मुख्य अतिथि प्राचार्य डा विनीता गुप्ता ने कार्यक्रम की सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ निशा अग्रवाल, डॉ रंजना राजपूत, डॉक्टर शालिनी सिंह, डॉ अर्चना अग्रवाल, डॉ नम्रता त्रिपाठी, डॉक्टर संध्या चतुर्वेदी, डॉक्टर सरिता शर्मा, डॉक्टर विकास वाष्णेय, सौरभ शर्मा एवं प्रगति दुबे सहित समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।

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