मौजूदा केंद्र सरकार में वफादारी का इनाम लेने वाले आईपीएस अफसरों को सूची लंबी होती जा रही है। इनाम भी दो तरह की, एक पोस्ट रिटायरमेंट पद तो दूसरा सेवा विस्तार। केंद्र में कई आईपीएस को सेवा विस्तार का तोहफा मिल चुका है। इनमें रॉ चीफ सामंत गोयल और आईबी प्रमुख अरविंद कुमार को पिछले दिनों ही एक-एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है। अब बीएसएफ डीजी राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से चार दिन पहले सेवा विस्तार मिला है। उन्होंने बुधवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर ज्वाइन किया है। सीवीसी में खाली पड़े दो पद, जिनमें ‘केंद्रीय सतर्कता आयुक्त’ और ‘सतर्कता आयुक्त’ शामिल हैं, इनके लिए भी आईपीएस अफसरों में दौड़ शुरू हो गई है। आईएएस अधिकारी एवं मौजूदा केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, जिनका सेवा विस्तार अगले माह खत्म होने जा रहा है, उन्हें भी कहीं एडजस्ट किया जा सकता है। सतर्कता आयुक्त के पद पर किसी आईपीएस को लगाए जाने की प्रबल संभावना बनती दिख रही है।

गुजरात कैडर के आईपीएस रहे
आईपीएस अफसरों को पहले भी एलजी, एडवाइजर, आयोग एवं बोर्ड का चेयरमैन या मेंबर बनाया जाता रहा है। अस्थाना के दिल्ली पुलिस आयुक्त बनने के बाद अब बीएसएफ और एनआईए डीजी का पद भरने की बारी है। इन दोनों पदों के लिए कई आईपीएस लाइन में लगे हैं। एनआईए डीजी के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के प्रमुख दिलबाग सिंह और सीबीआई में अतिरिक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा का नाम लिया जा रहा है। सिन्हा गुजरात कैडर के आईपीएस हैं। एनआईए डीजी के पद से रिटायर हुए वाईसी मोदी को भी पीएम और केंद्रीय गृह मंत्री का विश्वासपात्र बताया जाता है। वे भी गुजरात कैडर के आईपीएस रहे हैं। वाईसी मोदी, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी के सदस्य थे, जिसे 2002 के गुजरात दंगों की जांच सौंपी गई थी। इसी टीम की जांच के आधार पर नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिली थी। अब उन्हें एडवाइजर या किसी आयोग में जगह दी सकती है।

कई तरह की अनियमिताएं बरतने के आरोप
केंद्र की मौजूदा सरकार में केवल इन्हीं आईपीएस को वफादारी का इनाम नहीं मिला, बल्कि कई दूसरे अधिकारी भी सरकार में पद ले चुके हैं। इन सूची में कई आईपीएस का नाम शामिल है। के वेंकटेशम भी आरके राघवन की अध्यक्षता में गठित एसआईटी के सदस्य रहे हैं। हालांकि जांच कार्य पूरा होने से पहले ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देकर खुद को जांच से अलग कर लिया था। उन्हें नागपुर का पुलिस आयुक्त लगाया गया था। तेज तर्रार आईपीएस गीता जौहरी भी इसी टीम का हिस्सा रही हैं। सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की जांच में उन पर कई तरह की अनियमिताएं बरतने के आरोप लगे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जब सीबीआई ने इनके मामले की जांच की तो पाया कि आईपीएस अधिकारी जौहरी ने केस की पड़ताल ठीक तरीके से नहीं की है। चूंकि दूसरे आईपीएस की तरह वे भी इनाम की हकदार थी, इसलिए सीबीआई रिपोर्ट के बावजूद उन्हें गुजरात का डीजीपी और जीपीएचसी का प्रभारी बनाया गया था। आईपीएस पीसी पांडे भी गुजरात के डीजीपी बनाए गए थे। 2009 में जब वे रिटायर हुए तो उन्हें एसीबी का प्रमुख लगा दिया।

गृह मंत्रालय में सुरक्षा सलाहकार पद पर काम कर रहे
केरल कैडर के पूर्व आईपीएस अजीत डोभाल इस वक्त केंद्र सरकार में सबसे ताकतवर स्थिति में हैं। उन्हें दूसरी बार एनएसए बनाया गया है। इस बार वे कैबिनेट मंत्री की रैंक पर हैं। सीआरपीएफ के पूर्व डीजी के. विजय कुमार करीब एक दशक से केंद्रीय गृह मंत्रालय में सुरक्षा सलाहकार के पद पर काम कर रहे हैं। हरियाणा कैडर के आईपीएस एवं एनआईए के पूर्व डीजी शरद कुमार भी रिटायरमेंट के बाद सीवीसी रह चुके हैं। दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त बीएस बस्सी को मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया गया था। देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ के पूर्व डीजी डॉ. एपी महेश्वरी को रिटायरमेंट के तुरंत बाद पुडुचेरी एलजी का सलाहकार बना दिया गया है। इनसे पहले डीजी रहे आरआर भटनागर भी जम्मू-कश्मीर एलजी के सलाहकार बने हुए हैं। पूर्व रॉ चीफ अनिल धस्माना को एनटीआरओ निदेशक और उनके साथ ही अपना कार्यकाल पूरा करने वाले आईपीएस एवं आईबी चीफ के पद से रिटायर हुए राजीव जैन को एनएचआरसी में सदस्य बनाया गया है। सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन, जिन्होंने बोफोर्स घोटाला, मैच फिक्सिंग मामला और 2002 के गुजरात दंगे की जांच की निगरानी की है, उन्हें साइप्रस में राजदूत लगा दिया गया था। ये मामला मीडिया में भी उठा था।


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