हरदोई. उत्तर प्रदेश के हरदोई (Hardoi) के रहने वाले मेजर पंकज पांडेय एक साथी को बचाने में शहीद हो गए. अरुणाचल प्रदेश के तंबौला में उनकी तैनाती थी. बताया जा रहा है कि 15 हजार फीट ऊंचाई से गिरने पर वह बुरी तरह घायल हो गए. जहां गुरुवार देर रात गुवाहाटी के हॉस्पिटल में उन्होंने दम तोड़ दिया. मेजर की मौत की खबर मिलते ही उनके घर व जिले में शोक की लहर दौड़ गई. शनिवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ असम के लेखापानी में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

बता दें कि हरदोई शहर से सटे महोलिया शिवपार निवासी व्यवसायी अवधेश पांडे के दो बेटे हैं. बड़ा बेटा पंकज पांडेय व छोटा बेटा आशीष पांडेय. पंकज पांडेय सेना में मेजर हैं. पिता अवधेश ने बताया कि 19 जुलाई की दोपहर उनके पास फोन आया कि एक हादसा हुआ है जिसमें पंकज को गंभीर चोटें आईं हैं. इसके बाद वे फौरन बेटे आशीष के साथ गुवाहाटी हॉस्पिटल पहुंचे. पंकज को गंभीर चोटें आईं थी. इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया.

खाई में गिर रहा था साथी

पंकज की रेजीमेंट बी सिख के अधिकारियों ने बताया कि 19 जुलाई की सुबह करीब 15 हजार फीट पर ड्यूटी के दौरान एक साथी खाई में गिर रहा था, जिसको पंकज ने बचाने का किया. इसमें पंकज और उसका साथी नीचे खाई में गिरे. काफी देर के प्रयास के बाद दोनों को निकाला गया. पंकज के सिर से लेकर गर्दन तक गंभीर चोटें आईं थीं.

साथी खतरे से बाहर
दोनों को गुवाहाटी के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. यहां साथी तो खतरे से बाहर है, लेकिन पंकज ने दम तोड़ दिया. भाई आशीष ने बताया कि पंकज के शव को सैन्य सम्मान के साथ मुख्य यूनिट असम लेखापानी में शनिवार की सुबह गार्ड आफ ऑनर दिया जाएगा. उसके बाद उनका वहीं अंतिम संस्कार किया जाएगा.

2008 में हुआ था सीडीएस में चयन
पिता अवधेश ने फोन पर बताया कि पंकज ने प्रारंभिक शिक्षा सीतापुर महोली निवासी मामा सुधाकर शुक्ला के यहां से की. उसके बाद इनका चयन सीडीएस में वर्ष 2008 में हो गया था. देहरादून में ट्रेनिंग हुई, फिर हिमाचल व असम में ही तैनाती मिली. उन्होंने बताया कि बचपन में सेना आदि की फिल्में जब भी टीवी पर आतीं तो पंकज उछल जाता था. सेना में भर्ती के बाद जब वह पहली बार घर वालों से मिला तब भी काफी उत्साहित था.

5 साल पहले हुआ था विवाह
पंकज का विवाह पांच वर्ष पूर्व ही कंचन के साथ हुआ था. उसकी एक डेढ़ साल की बेटी अरू भी है. सूचना के बाद से पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. उनके शहीद होने की सूचना के बाद वह भी बाकी परिजनों के साथ गुवाहाटी के लिए रवाना हो गईं.


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