नई दिल्ली। वैसे तो हर दिन खुद में खास होता है और हर तारीख एक गवाह होती है,इतिहास की। आज की तारीख यानि आठ जून भी खुद में इतिहास को समेटे हुए है। दरअसल गुलामी की लंबी कैद के बाद आजाद मुल्क भारत भविष्य के सुनहरे ख्वाब संजो रहा था। इन्हीं सपनों में शामिल था, भारत की अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा।
दो दिन में पहुंची थी लंदन
भारतीय सिविल एविएशन के क्षेत्र में नित नयी सफलता अपने नाम करने वाली एयर इंडिया की पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान 8 जून 1948 को मुंबई और लंदन के बीच थी, जो काहिरा और जेनेवा होकर गंतव्य तक पहुंची। वर्तमान समय में लंदन तक पहुंचने में कम से कम 8 से 11 घंटे लगते हैं।
35 यात्रियों को लेकर भरी थी उड़ान
लंबी शुरुआती तैयारियों के बाद 8 जून की शाम मुंबई एयरपोर्ट से मालाबार प्रिंसेज नाम के 40 सीटर एल-749 कॉन्स्टेलेशन ने कैप्टन के.आर. गुजदार की अगुवाई में 35 यात्रियों को लेकर उड़ान भरी। 8 जून से शुरू हुआ सफर 10 जून को लंदन पहुंचकर खत्म हुआ यानी पांच हजार मील की यात्रा दो दिनों में पूरी हुई। मुसाफिरों में इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच देखने के लिए जा रहे, महाराजा दिलीप सिंह, गुलाम मोहम्मद भट्टी, आर.आर. नोबेल जैसे नामी-गिरामी और रसूखदार लोग शामिल थे।
तब लंदन का किराया था 1,720 रुपये
इस सेवा के शुरू होने से पहले घरेलू उड़ानों का अनुभव रखने वाली एयर इंडिया ने काहिरा, जेनेवा और लंदन में अपना कार्यालय खोला, जिसमें लंदन एयरपोर्ट पर अपना कार्यालय खोलने के लिए एयर इंडिया को कड़ी मशक्कत के बाद एक छोटी-सी जगह दी गयी।
एयर इंडिया की पहली उड़ान का विज्ञापन 3 जून 1948 को एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित हुआ, जिसका संदेश था- ‘हमारे साथ हर मंगलवार काहिरा और जेनेवा होते हुए लंदन के लिए उड़ान भरिये, सिर्फ 1720 रुपये में।’
1932 में जेआरडी टाटा ने की स्थापना
गौरतलब हो कि एयर इंडिया की स्थापना 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस के रूप में की थी। इसकी पहली उड़ान कराची से मुंबई के बीच थी। जेआरडी टाटा स्वयं उस सिंगल इंजन प्लेन में सवार थे। 29 जुलाई 1946 को एयर इंडिया के नाम से यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गयी और देश की आजादी के बाद सरकार ने 1948 में इसकी 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली। जेआरडी टाटा 1977 तक इसके चेयरमैन रहे। आज भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया 94 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूटों पर उड़ान भरती है।