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16 से 18 नवंबर तक आयोजित आर्य धर्म महासम्मेलन में अपार जन समूह के समक्ष सभी उपस्थित मंचासीन विद्वत्व जनों ने अपने विचार स्वामी दयानंद सरस्वती पर व्यक्त किए और सभी का यह मानना था कि वेदों का आधार तंत्र मंत्र नहीं अपितु विज्ञान है स्वामी दयानंद सरस्वती ने हमारे सोचने की दिशा ही बदल दी है।
इस मौके पर उपस्थित मुख्य अतिथि आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा कि व्यक्ति बड़ा नहीं होता उसका भाव, उसका संकल्प बड़ा होता है, इस आयोजन में माननीय मंत्री जी ने जो भाव प्रदर्शित किया है वह उनकी विराट सोच को दर्शाता है, उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्र और सनातन के लिए समर्पित रहूंगा, उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती में शिव की भांति विषपान करने की क्षमता, राम की मर्यादा और कृष्ण की दूरदर्शिता का समिश्रण था, भारतीय समाज को जात-पात और ऊंच – नीच के जहर से बाहर निकालकर ज्ञान के दीप को प्रज्वलित करने का कार्य किया, इस रूप में उनका योगदान अमूल्य है साथ ही उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानी ऐसे थे जो दयानंद सरस्वती के विचारों से प्रभावित थे, आज भारत को जात-पात अगडा पिछड़ा के नाम पर विभाजित करने का जो षड्यंत्र रचा जा रहा है, उसे समाप्त करने की आवश्यकता है आर्य समाज, सनातन संस्कृति की सबसे सशक्त इकाई है, सनातन एवं समाज को जागृत करने हेतु हम सभी को आर्य समाज के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर बोलते हुए कैबिनेट मंत्री माननीय जयवीर सिंह ने कहा कि हम सभी का उद्देश्य है सामाजिक समरसता को बनाना अपने देश को वहीं गौरवशाली मुकाम दिलाना जिसके बल पर भारत विश्व गुरु कहलाता था आप सभी को अपने हित से बढ़कर देश हित को समझना होगा तभी हम 2047 तक इस विकसित भारत के सपने को पूरा कर सकेंगे।
इस मौके पर माननीय मंत्री जी ने आचार्य प्रमोद कृष्णन को पुष्प गुच्छ एवं स्मरण पत्र देकर सम्मानित किया साथ ही कन्या गुरुकुल हाथरस की बालिकाओं द्वारा स्वागत गायन भी किया गया। 2000 बालिकाओं ने एक साथ मुख्य अतिथि आचार्य प्रमोद कृष्णन एवं माननीय मंत्री जी के सामने अपने कौशल का प्रदर्शन किया।
साथ ही इस अवसर पर संदीप आर्य गिल ने अपने साथियों अंकुर आर्य और मुकेश राणा के साथ मिलकर स्वामी दयानंद सरस्वती पर गीत गाकर श्रोताओं को ओत-प्रोत कर दिया। इस दौरान मंच पर देवेंद्र पाल वर्मा, रवि शास्त्री कुशल देव आदि आचार्यगण उपस्थित थे।

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