फिरोजाबाद। अखिल भारतीय सोहम महामंडल के तत्वावधान में आयोजित संत सम्मेलन में बुधवार को स्वामी सत्यानंद महाराज ने भक्ति की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि ईश्वर की सच्ची भक्ति ही हमारे जीवन को भवसागर से पार लगाती है।
उन्होंने कहा जीव का मन जब भगवान की भक्ति में लग जाता है, तो ईश्वर ही उसकी रक्षा करता है। मनुष्य जीवन बहुत भाग्य से मिलता है। अपनी सांसारिक जिम्मेदारियों के साथ ही जीवन क्यों कुछ समय को भक्ति और परोपकार में भी लगाना चाहिए। शुकदेवानंद महाराज ने कहा कि सच्चे मन से भगवान की भक्ति करने से ही जीव का कल्याण होता है। प्राणी मात्र को सांसारिकता से हटकर एकाग्र चित्र होकर प्रभु की भक्ति करनी चाहिए। ईश्वर सर्वव्यापी है किंतु पहले भगवान माता पिता है। सम्मेलन में स्वामी प्रणवानंद, भारतान्न्द, अनंतानंद, प्रज्ञानंद, प्रीतम दास नारायण आनंद ब्रह्मचारी रामानंद महाराज अरुण देव आदि द्वारा भी धर्म चर्चा की गई। वहीं श्रीमद्भागवत में कथा व्यास पंडित राम गोपाल आचार्य ने रुक्मणी विवाह का मनोहरी वर्णन करते हुए कहा कि जब रुक्मणी का भाई उसकी शादी शिशुपाल से कराना चाहता था तो भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी के प्रेम में वशीभूत होकर उसके प्रेम की रक्षा के लिए शादी रचाने के लिए पहुंच गए थे। क्योंकि रुकमणी स्वयं लक्ष्मी स्वरूप थी। उन्होंने कहा काम, क्रोध और लोभ का गुलाम बनने के बजाय भगवान का दास बनना लाभकारी है। भगवान भक्तों पर आए संकट के कल्याण के लिए दौड़े चले आते हैं।

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