-धू-धूकर जलने लगा लंका पति रावण का पुतला
फिरोजाबाद। श्री सनातन धर्म रामलीला महोत्सव समिति के तत्वाधान में चल रही रामलीला मंचन के दौरान भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया। इस प्रकार बुराई के प्रतीक रावण का अंत हो गया।
बुधवार को रामलीला मैदान में जैसी ही भगवान राम का रथ पहुंचता हैं। वैसे ही रामलीला का मंचन शुरू हो जाता है। भगवान राम के हाथों कुंभकरण व मेघनाथ के मारे जाने बाद रावण अकेला पड़ जाता है। रावण सेना के साथ भगवान राम से युद्व करने निकलता है। राम व रावण के बीच भीषण युद्ध होता है। भगवान राम उसके दस सिर व बीसों भुजाआंे को काटते लेकिन उसके फिर से सर व भुजायें आ जाते। यह देख रावण के भाई विभीषण ने कहा कि रावण की नाभि मंे अमृत है जब तक वो नही सूखेगा तब तक रावण का बध होना असंभव है। भगवान राम ने एक साथ 31 वाण छोड़े जिन्हांेने उसकी बीसों भुजाआंे व दसों सर को काट दिया। एक वाण उसकी नाभि में लगा। जिससे उसकी नाभि का अमृत सूख गया और रावण जमीन पर गिर पड़ा। इसके साथ ही एक अग्निवाण के बाद रावण धू-धू कर जल उठा। रावण का वध होते ही वायुमंडल में जयश्रीराम के जयकारें गुजायमान होने लगे। इस प्रकार से असत्य पर सत्य की विजय हो गयी। राम के द्वारा विभीषण को लंका का राजा बनाया जाता है। वहीं सीता और राम का मिलन होता है।