फिरोजाबाद। श्रीचंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर सदर बाजार में बुधवार को आचार्य निर्भय सागर महाराज ससंघ ने एक विशाल धर्मसभा को संबोधित किया। जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओ ने धर्म लाभ लिया।
बुधवार सुबह आचार्यश्री का मंगल बिहार छदामीलाल जैन मंदिर से श्रीचन्द्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर सदर बाजार के लिए हुआ। चन्द्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में पहुंचने के बाद श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा एवं पूजन आचार्यश्री ससंघ के पावन सानिध्य में धूमधाम से संपन्न हुआ। शान्तिधारा करने का सौभाग्य अरुण जैन एवं संभव जैन को प्राप्त हुआ। पाठशालाओ के पांच मंगल कलश प्राप्त करने वाले सौभाग्यशाली परिवार क्रमशः अरुण जैन, संभव जैन, प्रमोद जैन, मुकेश जैन तथा साहस कुमार जैन रहे। तत्पश्चात प्रवक्ता अनूप जैन ने समाज को अपने जीवन में पाठशाला का महत्त्व बताया। अंत मे आचार्यश्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम मवेषी नहीं मलेषी है। मवेषी वे होते है जिनके जीवन में कोई नियम और संयम नहीं होता, जैसे की पशु होते है जिनका ना खाने का कोई नियम होता है, ना सोने का और ना ही जागने का तथा वे दिन रात काम वासना में लगे रहते है। इंसान के अंदर श्रद्धा-भक्ति, खाने-पीने का सभी का नियम होता है। उन्होंने कहा कि भौतिक विज्ञान से शक्ति मिल सकती है लेकिन भक्ति नहीं मिल सकती, संपदा मिल सकती है लेकिन सुख नहीं मिल सकता, सब कुछ मिल सकता है लेकिन आत्मा की शांति नहीं मिल सकती। धर्म का नाम वीतराग विज्ञान है, यहां आत्मा का ज्ञान किया जाता है और पाठशाला मे आतंकवाद नहीं भक्ति ज्ञान की प्राप्ति होती है एवं आत्मा का ज्ञान किया जाता है, जिससे जीवन धन्य हो जाता है।