फिरोजाबाद। भारत में आज युवा पीढ़ी का रुझान अगर किसी खेल के प्रति अधिक है तो वह क्रिकेट है। भारत में क्रिकेट की लोकप्रिय दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वही लाखों-करोड़ों युवा इसमें अपना भविष्य देखते हैं। आईपीएल ने युवाओं में नई जागृति पैदा की है।
आज हर युवा क्रिकेट खिलाड़ी खेलने का सपना देखता है। क्योंकि उसे इसमें अपना भविष्य दिखाई देता है। आईपीएल में उसको नाम और शोहरत दोनों ही प्राप्त हो रही है। जिसके कारण लोकप्रियता में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। उत्तर प्रदेश की लाखों-करोड़ों युवा क्रिकेट खिलाड़ी अपना उज्जवल भविष्य इसमें देखते हैं। लेकिन चंद खिलाड़ियों के अलावा बाकी के खिलाड़ियों को निराशा ही हाथ लगती है। टैलेंट होने के बावजूद इसका मुख्य कारण उत्तर प्रदेश की जनसंख्या है। उत्तर प्रदेश में टैलेंटेड खिलाड़ियों की कमी नहीं है परंतु किसी भी वर्ग की टीम में 15 से 18 खिलाड़ियों का ही चयन संभव हो पाता है जिससे बाकी के खिलाड़ियों को निराशा हाथ लगती है। उनको खेलने का अवसर नहीं मिलता और वह उत्तर प्रदेश से पलायन कर अन्य राज्यों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 25 करोड़ है हजारों खिलाड़ी चयन के लिए भाग लेते हैं। वही कुछ ही खिलाड़ियों को चुने जाने की मजबूरी है चयनकर्ताओं की। उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों के साथ यह घोर अन्याय है। निकट भविष्य में चंडीगढ़, पांडिचेरी पूर्व उत्तर के पांच राज्यों को बीसीसीआई ने पूर्ण मान्यता दी है। वहां के खिलाड़ियों को बोर्ड के मैच में अधिक खिलने का मौका मिलता है। अब समय आ गया है उत्तर प्रदेश की टीमों को चार भागों में बाटा जाए। जिससे यहां के भी खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों में खेलने का अधिक से अधिक मौका मिले। अगर चार टीमें उत्तर प्रदेश की बनती है तो प्रदेश के खिलाड़ियों को न्याय मिल पाएगा और अपनी क्षमता का प्रदर्शन दिखाने का अधिक अवसर प्राप्त हो पाएगा। साथी जो भी खिलाड़ी उत्तर प्रदेश छोड़कर अन्य प्रदेशों में अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं वह भी अपने ही प्रदेश में रह पाएंगे। मेरा बीसीसीआई से अनुरोध है कि जल्द से जल्द उत्तर प्रदेश क्रिकेट को चार भागों में विभाजित करें। जिससे अधिक से अधिक युवा खिलाडियों को मौका मिले सके।