नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ चल रहे गैंगरेप केस में बुधवार को फैसला आ गया। एमपी-एमएलए कोर्ट के जज पवन कुमार राय ने गायत्री समेत तीन आरोपियों को मामले में दोषी करार दिया। सजा पर 12 नवंबर को फैसला आएगा। वहीं इस मामले के चार अभियुक्तों को राहत देते हुए, उन्हें कोर्ट ने मामले से बरी कर दिया है।
कोर्ट ने जिन्हें दोषी करार दिया है, उनमें पूर्व कैबिनेट गायत्री प्रजापति के अलावा आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी शामिल हैं। बरी होने वाले अभियुक्त में रूपेश्वर उर्फ रूपेश, चंद्रपाल, विकास वर्मा अमरेंद्र सिंह पिंटू हैं। इनकी ओर से अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने बहस के दौरान दलील दी थी कि किसी भी गवाह ने रूपेश्वर या चंद्रपाल के खिलाफ एक भी तथ्य नहीं बताए हैं।

क्या हैं पुरा मामला

2013 में पीड़िता चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती के एक कार्यक्रम में मौजूदा कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति से मिली। वर्ष 2014 में पहली बार गायत्री पर उसके साथ रेप करने का आरोप लगा । 17 अक्टूबर 2016 को पहली बार पीड़िता ने यूपी के डीजीपी से इस मामले की शिकायत की। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
16 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस और सरकार को पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
18 जुलाई 2017 को यूपी पुलिस ने गायत्री प्रसाद प्रजापति, विकास वर्मा, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया। बाद में अमरेन्द्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल और रूपेश्वर उर्फ रूपेश के नाम भी जोड़े गए।
2 नवंबर 2021 को सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए गए।
8 नवंबर 2021 को कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी कर ली।
10 नवंबर 2021 को पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, अशोक तिवारी एवं आशीष कुमार को दोषी करार दिया। वहीं अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा चंद्रपाल और रुपेशवर उर्फ रूपेश को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।

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