फिरोजाबाद। आचार्यश्री विवेक सागर ने धर्मसभा में कहा कि दशलक्षण धर्म की पाठशाला में आज तीसरा दिन है। 355 दिन जो हमने धर्म की पाठशाला में पढ़ा है सिखा है उसकी परीक्षा चल रही है दो पेपर हो गए है। पहले दिन क्रोध को जीतना था दूसरा पेपर था उत्तम मार्दव धर्म का जिसमे मान को,अहंकार को, अभिमान को जो बाहर झलक रहा था उस मान के परिणाम को जितना था और आज है उत्तम आर्जव धर्म का पेपर आज किसको जितना है। माया को कहते है जो जितना सरल होता है उसका दिमाग उतना ही पॉजिटिव होता हैै। जिसके अधिक छल कपट मायाचारी होती है उसके जीवन मे पॉजिटिव थॉट उत्पन्न नहीं हो सकते। सरलता असीम है। कुटिलता की सीमा है। कपट ज्यादा देर तक छुपाया नही सकता। असलियत स्वयं सामने आ जाती है। सत्य एक को ढंकने के लिए सौ झूठ और बनाने पड़ते है। पाद प्रक्षालन मयंक जैन (माइक्रोटेक) ने किया। चित्र अनावरण अनुज जैन (तुलसी बिहार), नरेंद्र जैन (मामा) ने किया।

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