फिरोजाबाद। पर्युषण पर्व के दूसरे दिन भी जैन मंदिरों में श्रीजी का जिनाभिषेक कर शांतिधारा संपन्न हुई। जिनभक्तों ने मंदिर में प्रसिद्ध संगीतकार शैंकी जैन की मधुर ध्वनि पर नृत्य करते हुये प्रदीप जैन के मंत्रोच्चारण के साथ सामूहिक पूजन किया। धर्मसभा में मुनिश्री द्वारा प्रवचन दिए गए।
पर्युषण पर्व के दूसरे दिन शनिवार को नगर के अनेकों जैन मंदिरो श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर रसूलपुर, श्री मुनि सुव्रत नाथ दिगम्बर जैन मंदिर सुहाग नगर, श्री बाहुबली दिगम्बर जैन मंदिर नई बस्ती, श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर ओम नगर के साथ सेठ छदामीलाल श्रीमहावीर जिनालय में परम पूज्य आचार्य श्री सुरत्न सागर मुनिश्री के पावन सानिध्य में प्रातः काल श्रीजी के जिनाभिषेक के पश्चात् शांति धारा संपन्न हुई। जिसका सौभाग्य अशोक जैन एवं अनुज जैन तुलसी बिहार को प्राप्त हुआ। मुनिश्री ने धर्म सभा में मार्दव धर्म पर सम्बोधित करते हुए कहा कि आज पर्युषण पर्व में मार्दव धर्म का दिन है। हम सभी लोग आत्म शुद्धि को उन महान पर्व में साधना कर रहे हैं जिन्हें पर्युषण पर्व कहते हैं। जब तक हमारे जीवन में विशुद्धि नहीं होगी तब तक धर्म की साधना करना संभव नहीं है। मुनिश्री ने कहा कि जब तक हमारे मन में कषाय भाव है तब तक मन की विशुद्धि नहीं हो सकती है। हमारा मान कषाय ही हमारे इस लोक और पर लोक को बिगाड़ने में सहयोगी है। व्यक्ति का अहंकार अर्थात मान भव भव में परिभ्रमण कराता है। अंहकार में व्यक्ति गलत धरना में अपना जीवन व्यतीत कर देता है। जब कि यह संसार न ही किसी के चलाने से चलता है और न ही किसी के रोकने से रुक सकता है। उन्होंने कहा कि अहंकार रावण का भी नहीं चला। उसका नाम लेने वाला भी कोई नहीं है तथा राम का नाम आज हर कोई लेता है। अपने मन के अहंकार को नष्ट कर स्वयं को विशुद्ध बनाओ। इस दौरान समिति के अध्यक्ष निमिष जैन, शैलेन्द्र जैन शैली, विशाल जैन, आदीश जैन, मनोज जैन दद्दा, श्रेयांश जैन, प्रशांत जैन, जितेंद्र जैन जीतू, प्रदीप जैन, दीपक जैन, प्रवीण जैन, भोला जैन, अरुण जैन पीली कोठी, संभव प्रकाश जैन, चंद्र प्रकाश जैन आदि मौजूद रहे।

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