उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भाजपा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को यूपी का चुनाव प्रभारी बनाकर कई संदेश देने की कोशिश की है। सियासत के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य यूपी में धर्मेंद्र प्रधान के साथ भारी भरकम टीम लगाई गई है जिसमें बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड के प्रभारी रह चुके धर्मेंद्र प्रधान पर यूपी जिताने का जिम्मा होगा। इसके साथ ही बीजेपी ने यह भी कोशिश की है कि जातीय और सियासी समीकरणों के हिसाब से लोगों को विधानसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में जिम्मेदारी दी जाए।

इस बार भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में चुनाव की ज़िम्मेदारी कि लिये चेहरे उतारकर पार्टी की नई पीढ़ी तैयार करने की कोशिश को भी दिखाने का प्रयास किया है। भाजपा मे यह भी इतिहास रहा है कि उत्तर प्रदेश से चमकने वाले चेहरे आगे केंद्रीय नेतृत्व में शामिल रहे हैं। धर्मेंद्र प्रधान की जिम्मेदारी पिछड़े वर्ग के वोटरों में घुसपैठ बनाने के लिए सबसे ज्यादा माना जा रही है। धर्मेंद्र प्रधान खुद भी कुर्मी बिरादरी से आते हैं और अपनी बिरादरी को लेकर के गंभीरता और संवेदनशीलता धर्मेंद्र प्रधान ने संसद के मानसून सत्र के दौरान संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान जाहिर कर दी थी। यह वह वक्त था जब समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने सदन में आरोप लगाया था कि भाजपा यादव कुर्मी और गुर्जरों को आरक्षण से बाहर करने की साजिश कर रही है। उसी के जवाब में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच अलग-अलग जातियों के बीच डर पैदा करने की राजनीति कर रही है। मैं खुद कुर्मी हूं और जो आप लोगों से गलतियां हुई हैं उनको सुधारने की भाजपा कोशिश कर रही है।

केंद्रीय नेतृत्व में यूपी के लिए चेहरों की तलाश करते समय जातीय, सामाजिक और राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से तय करने की कोशिश की है, जैसे किसान आंदोलन के बाद जाटों की नाराजगी की चर्चा के बीच हरियाणा के नेता कुमार अभिमन्यु को जिम्मेदारी पर लगाया गया है। इनके जरिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अभिमन्यु भाजपा के लिए जमीन दुरुस्त करने का काम कर सकती हैं। राजस्थान से आने वाले अर्जुन राम मेघवाल दलित समुदाय से हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बडी संख्या में दलित बहुल जिले हैं जिनकी सीमाएं राजस्थान से जुड़ी हुई हैं। मेघावल अपने पुराने अनुभवों के चलते इन लोगों को साधने की कोशिश करेंगे। सीपी बिहार के सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को यूपी में इसमें लगाया गया है ताकि वह बिहार से लगती हुई सीमाओं में जाति विशेष के लोगों पर अपनी पकड़ साबित कर सकें। दूसरी तरफ अन्नपूर्णा देवी को यूपी के यादवों को साधने का काम दिया गया है तो अनुराग ठाकुर राजपूत बिरादरी से आने वाले लोगों पर अपनी पैनी नजर रखेंगे। कुल मिलाकर जितने भी लोग यूपी में चुनाव की ज़िम्मेदारी के लिये लगाये गये हैं उन सबको उत्तर प्रदेश की सामाजिक समीकरणों के आधार पर जिम्मेदारियां दी गई हैं, और यह भी तय है कि यह लोग यूपी मे होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद केंद्रीय नेतृत्व में बड़े चेहरों के रूप में सामने आएंगे।
इसकी बड़ी वजह यह भी है कि अगर भारतीय जनता पार्टी के इतिहास पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश से निकलने वाले चेहरे केंद्र में हमेशा बड़ी जिम्मेदारियों पर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा ने भी पहले यूपी प्रभारी की जिम्मेदारी निभाई और उसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 2017 में यूपी के प्रभारी रहे भूपेंद्र यादव का कद भी यूपी के नतीजों के बाद बड़ा हुआ। ऐसे में रणनीति ये भी कहती है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव के नतीजों पर धर्मेंद्र प्रधान और उनकी टीम का भी कर आगे बढ़ सकता है।

बहरहाल धर्मेंद्र प्रधान के साथ एक भारी-भरकम टीम उत्तर प्रदेश के सियासी समीकरणों को साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने लगाई है, जिससे उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में मंडल स्तर पर वोटरों तक पहुंचा जा सके और अपने दावों के मुताबिक बीजेपी ज्यादा से ज्यादा सीटें विधानसभा में जीत सके।

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