नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनिसेफ के साथ मिलकर हाल ही में 16 राज्यों के सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रतिनिधियों के लिए कम्यूनिकेशन जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। विषय आधारित सत्र में कोविड-उपयुक्त व्यवहार के बारे में सार्थक जागरूकता अभियान चलाने और विशेष रूप से दूरदराज तथा दुर्गम स्थानों में रहने वाले समुदायों के बीच कोविड टीकों और टीकाकरण से संबंधित मिथकों को समाप्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। 25 जुलाई को आयोजित हुए इस इंटरैक्टिव सत्र में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय,सूचना और प्रसारण मंत्रालय,पत्र सूचना कार्यालय,दूरदर्शन,आकाशवाणी तथा यूनिसेफ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने किया संबोधित
इस सत्र को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने संबोधित किया। संयुक्त सचिव ने अपने संबोधन में विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का समर्थन करने में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों (सीआरएस) के योगदान की सराहना की। प्रतिभागियों ने दर्शकों के साथ बातचीत के अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि किस तरह उन्होंने उनकी आशंकाओं,कोविड टीकों के बारे में उनकी चिंताओं को दूर किया और उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने प्रतिभागियों के विभिन्न प्रश्नों का उत्तर दिया और क्षेत्रों में प्रामाणिक जानकारी का जाल व्यापक बनाने में उनके निरंतर समर्थन की सराहना की।
1995 में रखी गई थी सामुदायिक रेडियो की आधारशिला
प्रसारण के क्षेत्र में लोकल रेडियो स्टेशन यानी स्थानीय रेडियो स्टेशन एक नया प्रयोग है। सामुदायिक रेडियो स्थानीय रेडियो की श्रेणी में आता है। सामुदायिक रेडियो का मुख्य प्रयोजन ग्रामीण क्षेत्रों और शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। एक निर्धारित राशि जमा कर एवं सरकार से लाइसेंस लेकर सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोला जा सकता है। सामुदायिक रेडियो की आधारशिला 1995 में रखी गई थी। अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘रेडियो तरंगे लोक सम्पति हैं’।
‘अन्ना एफएम’ भारत का पहला कैम्पस कम्युनिटी रेडियो केन्द्र
अन्नामलाई विश्वविद्यालय,चेन्नई का ‘अन्ना एफएम’ भारत का पहला कैम्पस कम्युनिटी रेडियो केन्द्र था, जिसका प्रसारण 1 फरवरी 2004 से आरम्भ हुआ। इसे शैक्षिक मल्टीमीडिया अनुसंधान केंद्र (ईएमआरसी) द्वारा संचालित किया जाता है। 16 नवम्बर 2006 को भारत सरकार द्वारा एक नई कम्युनिटी रेडियो नीति को अधिसूचित किया गया। इसके अनुसार गैर व्यवसायिक संस्थायें,जैसे स्वयंसेवी संस्थायें,कृषि विश्वविद्यालय,सामाजिक संस्थायें,भारतीय कृषि अनुसंधान की संस्थायें,कृषि विज्ञान केन्द्र तथा शैक्षणिक संस्था कम्युनिटी रेडियो के लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकती हैं।
सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के कार्यक्रमों के कारण आई है टीकाकरण में तेजी
क्षेत्रीय भाषा में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के कार्यक्रमों का उद्देश्य समुदायों को कोविड-उपयुक्त व्यवहार के महत्व के बारे में शिक्षित करना,टीकों से जुड़े मिथकों और गलत सूचनाओं के बारे में सही जानकारी देना और टीकाकरण की प्रगति के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इसके परिणामस्वरूप भारत के कई जनजातीय जिलों में टीकाकरण में तेजी आ रही है। सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से आग्रह किया गया कि वे समुदायों के बीच वैक्सीन के प्रति विश्वास को मजबूत बनाने के लिए समुदाय के नेतृत्व वाली सकारात्मक पहलों और रोल मॉडलों को उजागर करें। कोविड से जुड़े मानसिक स्वास्थ्य के विषयों पर भी फोकस किया गया। राज्य और राष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञों के साथ जुड़कर सूचनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से समुदायों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के विषयों का समाधान करने के सामूहिक दायित्व पर बल दिया गया।
जन आंदोलन चलाने के लिए किया गया प्रोत्साहित
सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से कहा गया कि वे निरंतर रूप से श्रोताओं को कड़ाई के साथ कोविड-उचित व्यवहार का पालन करने की आवश्यकता के बारे में याद दिलाएं क्योंकि दूसरी लहर अभी भी खत्म नहीं हुई है। समाज द्वारा स्वास्थ्य सलाह की अनदेखी करने और कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर सजगता में कमी से वायरस फिर से हमला कर सकता है। सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रतिभागियों को अभिनव कार्यक्रम बनाने तथा समुदाय की भूमिका-मॉडलों की विशेषता और उनकी भूमिका स्वीकार करके जन आंदोलन चलाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।