देश भर में अमन चैन का सन्देश देने वाली बकरीद ( ईद उल अजहा की नमाज ) फिरोजाबाद में कोविड प्रोटोकल के साथ अदा की गयी । सबसे पहले मोहल्लों की मस्जिदो में मुस्लिम भाइयों ने नमाज अता की , और देश ।के अमन चैन और सौहार्द बनाये रखने और कोरोना के जल्द खात्मे की दुआ मांगी,

ईद-उल-अजहा का अर्थ त्याग वाली ईद है इस दिन जानवर की कुर्वानी देना एक प्रकार की प्रतीकात्मक कुर्वानी है … ,मान्यता है कि इब्राहम ने एक स्वप्न देखा था जिसमें खुदा उनसे कुछ कुर्वानी की बात कहते है तो वो सोचते हैं कि उनके पास तो कुछ भी नही तभी वो स्वप्न में अपने बेटे इस्माइल को कहते हुए नजर आते हैं कि बस तुम ही हो मेरे पास , क्या खुद की राह में तुम कुर्वान होने को तैयार हो , जिस पर इस्माइल हस्ते हस्ते पिता की बात मानकर कुर्वान होने को तैयार हो जाता है लेकिन कुर्वानी के समय खुदा अपने फरिस्तों को भेजकर इस्माइल की एक जगह एक जानवर की कुर्वानी कर देते हैं बस तभी से कुर्वानी की ये परम्परा चली आ रही है और लोग ईद उल जुहा के अवसर पर बकरे की कुरवानी देते हैं


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