आगरा के गरीब लोग चावल नहीं गेहूं खाना चाहते हैं। यह हम नहीं इन दिनों राशन की दुकान पर पहुंच रहे लोग कह रहे हैं। सरकार द्वारा मुफ्त में मिल रहे चावल और गेहूं के बजाए अधिकांश लोग चावल के बदले गेहूं की मांग कर रहे हैं। कार्डधारकों की इस मांग से राशन डीलर परेशान हैं। मांग पूरी न करने पर कई जगह विवाद की स्थिति भी बन रही है।

कोरोना काल में सरकार गरीब लोगों को महीने में दो बार मुफ्त राशन दे रही है। पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रति यूनिट तीन किलो गेहूं व दो किलो चावल और अंत्योदय कार्डधारकों को 20 किलो गेहूं व 15 किलो चावल मिल रहा है। परंतु कार्डधारक चावल के बजाए राशन डीलर पर गेहूं देने का दबाव बना रहे हैं। एक राशन डीलर ने बताया कि उनकी दुकान पर 50 से अधिक कार्डधारक चावल के बदले गेहूं देने की मांग कर चुके हैं। मना करने पर वाद-विवाद करते हैं। हमें तो सरकार से यूनिट के हिसाब से गेहूं/चावल मिलता है। यदि हम सबको गेहूं दे देंगे तो चावल कौन लेगा। हमने इसकी जानकारी पूर्ति विभाग को भी दे दी है।

उमेश चन्द्र मिश्र, जिला पूर्ति अधिकारी बताते हैं कि सरकार द्वारा निर्धारित प्रति यूनिट गेहूं/चावल ही सभी राशनकार्डधारकों को दिया जाएगा। चावल के बदले गेहूं की मांग पूरी नहीं की जा सकती। लोग राशन डीलर पर चावल के बदले गेहूं देने का दबाव न बनाएं।


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