लखनऊ। हाल ही में सम्पन्न हुए ग्राम प्रधानी के चुनाव (UP Panchayat Chunav) के बाद बीजेपी (BJP) एक्शन मोड में नजर आ रही है। कोरोना काल और पंचायत चुनाव में विधानसभा क्षेत्रों में मिली सफलता के बाद विधायकों के पकड़ का पैमाना अब तय होगा। वहीं विधायकों का परफॉर्मेंस पर तय किया जाएगा कि 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव में उतारा जाएं या नहीं। सूत्रों के मुताबिक टिकट वितरण में बीजेपी विधायकों के परफॉर्मेंस को आधार बनाएगी, जिसके बाद विधायक पशोपेश में फंसे हुए नजर आ रहे हैं। इसमे पंचायत चुनाव परिणाम और कोरोना काल मे बीजेपी विधायकों द्वारा क्षेत्र में किए गये कामकाज को आधार बनाया जाएगा। यानी कि 50 फीसदी सीटों पर पार्टी की नजरें टेढ़ी हैं.

बता दें कि पंचायत चुनाव परिणाम और कोविड काल बीजेपी नेताओं की गले की फांस बनते जा रहा है. बीजेपी के दिल्ली में बैठे दिग्गज इससे खुश नजर नहीं आ रहे हैं. पंचायत चुनाव के नतीजों और कोराना काल के दौरान किए गये काम के बहाने पार्टी को विधायकों के टिकट काटने का मजबूत आधार भी मिल गया है. बताते चलें कि पंचायत चुनाव को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल माना जा रहा था लेकिन, नतीजे बहुत उत्साहवर्धक नहीं रहे।

जिम्मेदार एक तीर से दो निशाना साधकर पार्टी को 2022 के लिए तैयार करने में लगे हैं. पार्टी नेताओं की कोशिश रहेगी कि विधायक को जिम्मेदार ठहरा दिया जाए. जिससे विधानसभा चुनाव में नए चेहरों को मौका देने के लिए आसान रास्ता निकल जाए. जिसके लिए बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस भी मंथन कर रहा है. पंचायत चुनाव में अपेक्षित नतीजे न मिलने और कोविड काल में सरकार की छवि को डेंट लगने के बाद भाजपा अब विधानसभा चुनाव के लिए सतर्क हो गई है.
सरकार और संगठन स्तर पर मंथन

इधर, मुख्यमंत्री लगातार जिलों के दौरे पर हैं और सबकी जिम्मेदारियां तय कर रहे हैं. सरकार और संगठन स्तर पर ऐसे विधानसभा क्षेत्रों को चिह्नित किया जा रहा है, जहां भाजपा समर्थित उम्मीदवार ज्यादा हारे. इसी पर आने वाले समय मे बीजेपी का भविष्य तय होगा।


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