नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें 1 महीने के भीतर यूपी के सभी गांवों के लिए 2-2 ICU एंबुलेंस देने को कहा गया था. इस आदेश में सभी नर्सिंग होम में ऑक्सीजन बेड की सुविधा के लिए भी कहा था. यह वही आदेश है जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य की मेडिकल व्यवस्था को ‘रामभरोसे’ कहा था.
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि 1 महीने में 97,000 गांवों के लिए 2-2 एंबुलेंस देना समेत दूसरे आदेश भले ही अच्छे मकसद से दिए गए हों, पर अव्यवहारिक हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश को सलाह की तरह लेकर काम करने की कोशिश करें. सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से कहा कि ऐसा आदेश न दें जिनका पालन असंभव हो.
गांवों में ‘राम भरोसे’ है चिकित्सा व्यवस्था- HC
बता दें कि यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना ने तेजी से अपने पैर पसार लिए हैं. गांवों में तेजी से संक्रमण फैलने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी चिंता जाहिर की थी. इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने योगी सरकार पर तल्ख टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने कहा था कि उत्तर प्रदेश के गांवो, छोटे कस्बों मे चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति “राम भरोसे” है.
अदालत ने ये टिप्पणी मेरठ के मेडिकल कालेज से लापता 64 साल के बुजुर्ग संतोष कुमार के मामले में की. दरअसल, संतोष कुमार की अस्पताल के बाथरूम में गिरकर मौत हो गई थी. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर्स व स्टाफ ने उनकी पहचान करने के बजाय उनके शव को अज्ञात में डाल दिया था.
अदालत ने कहा कि जब मेडिकल कॉलेज वाले मेरठ जैसे शहर का यह हाल है. तो समझा जा सकता है कि छोटे शहरों और गांवों के हालात भगवान भरोसे ही हैं. कोर्ट ने इस मामले में की गई कार्रवाई को भी अपर्याप्त बताया. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ का रवैया गंभीर कदाचार यानी सीरियस मिस कंडक्ट की तरह है.