लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना (COVID-19) संकट के दौरान योगी सरकार लोगों की मदद के लिए अपने स्तर से हर संभव प्रयास कर रही है. इसके तहत एक ओर जहां कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए इन दिनों ग्रामीण इलाकों में युद्धस्तर पर टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट के साथ वैक्सीनेशन का अभिय़ान चलाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में लागू किए गए आंशिक कोरोना कर्फ्यू के चलते गांवों में गरीबों को राशन, तो शहरों में नगर निगमों द्वारा संचालित कम्यूनिटी किचन के जरिए रोजाना हजारों मजदूरों, रिक्शा चालकों और असहायो को भोजन भी मुहैय्या कराया जा रहा है।
ऐसे में अगर बात राजधानी लखनऊ जैसे शहरों की करें तो यहां नगर निगम द्वारा संचालित कम्युनिटी किचन में जहां बडे स्तर पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए भोजन बनवाया जा रहा है. तो वहीं इस भोजन को पैक कर बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और भीड़-भाड़ वाले इलाको जैसे सार्वजनिक स्थलों पर मिलने वाले सैकड़ों मजदूरों और असहाय लोगों को रोजाना बड़े स्तर पर भोजन भी मुहैय्या कराया जा रहा है।
नगर निगम संचालित कर रही कम्यनिटी किचन
लखनऊ नगर निगम के आयुक्त अजय द्विवेदी बताते हैं कि ‘‘कोरोना कर्फ्यू के दौरान कई ऐसे वर्ग है, जिनके सामने खाने पीने की एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. ऐसे में हमारे नगर निगम द्वारा संचालित कम्यनिटी किचनों के जरिये बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और आमीनाबाद, चारबाग जैसे भीड़ भाड़ वाले इलाकों के सार्वजनिक स्थलों पर मिलने वाले यात्रियों, मजदूरों, रिक्शा चालकों और असहाय लोगों को भोजन पहुंचाया जा रहा है.”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां पहले ही प्रदेश के करीब 14.8 करोड़ गरीबों को आगामी जून, जुलाई और अगस्त माह में मुफ्त में राशन देने का ऐलान कर चुके हैं. तो वहीं शहरी क्षेत्रों में दैनिक रूप से कार्य कर अपनी आजीविका चलाने वाले ठेला, खोमचा, रेहडी, खोखा, पटरी दुकानदार, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, पल्लेदार, नाई, धोबी, मोची, हलवाई जैसे परंपरागत कामगारों को 1 माह के लिए 1000 रुपए का भरण-पोषण भत्ता देने का भी निर्देश जारी कर चुके है।