कोरोना के केहर को ख़तम करने में पुलिस इतनी मशरूफ है की शायद लंभित पड़ी विवेचनाओं को परे कर दिया है। ऐसे में जिलेभर के थानों में विवेचनाओं की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। SSP ने इसकी समीक्षा की तो पता चला कि किसी दारोगा पर 40 विवेचनाएं हैं, तो किसी के पास महज एक ही विवेचना है। इसके अलावा कई पर अनावश्यक भार भी है। इस मामले में अलीगढ़ SSP ने सख्ती दिखाते हुए दो दिन के अंदर इस अनुपात को सही करने और थानों में विवेचना दिवस मानकर मामलों को निपटाने के अंदर निर्देश दिए हैं।
दो दिन के अंदर जमाई जाए व्यवस्था
इस आदेश पर अमल करते हुए शनिवार को ही थानों में कामकाज शुरू भी हो गया। SSP कलानिधि नैथानी ने कहा था कि किसी भी थाने में तीन प्रतिशत से ज्यादा पेंडेंसी नहीं होनी चाहिए। शुक्रवार को इसकी समीक्षा की गई तो CCTNS से मिले आंकड़े चौकाने वाले थे। बता दें, दारोगा पर मुकदमों की विवेचना का भार बिलकुल बिगड़ा हुआ दिखाई दिया। किसी के पास दर्जनों विवेचनाएं थीं, जबकि नए दारोगा खाली ही थे। इसी दौरान कुछ दारोगा स्थानांतरण के बाद भी उसी थाने की विवेचना में लगे हुए हैं। इस पर SSP ने कहा कि जिसके पास सबसे अधिक विवेचना है, उसकी विवेचना आधी करके नए दरोगा को दी जाएं। जो दरोगा थाने पर तैनात नहीं हैं, जनकी विवेचनाएं भी किसी बाकी दारोगा को आवंटित की जाएं। किसी पर भी किसी तरह का भार न हो। इस सन्दर्भ में SSP ने दो दिन के अंदर सभी CO को यह व्यवस्था को पूरी तरह जमाने को कहा है। दो दिन बाद CCTNS के ज़रिए से देखा जाएगा कि किस थाने द्वारा कितनी चार्जशीट या अंतिम रिपोर्ट लगाई गई है।
अनावश्यक FR लगा कर विवेचना ख़तम न करें
SSP ने कहा कि जिन थानों में पेंडिंग विवेचना तीन प्रतिशत से ज्यादा या 150 से अधिक हैं, वह पेंडेंसी कम करें। अनावश्यक FR लगा कर विवेचना ख़तम न करें। इसमें जल्द मेडिकल रिपोर्ट, विधि विज्ञान प्रयोगशाला से रिपोर्ट, विधिक राय आदि प्राप्त कर निस्तारित करें। इसके अलावा किसी भी मामले में निर्दोष व्यक्ति प्रताड़ित न हो। विवेचना में फर्जी पाए गए मामलों को भी जल्द निपटाएं।