कानपुर। शेर में कोरोना संक्रमण के लक्षण मिलने के बाद अब पालतू जानवरों को लेकर भी सतर्कता शुरू हो गई है। कोरोना वायरस का संक्रमण कुत्तों को भी होता है और उनमें भी लक्षण नजर आते हैं। बशर्ते उनकी मनुष्यों की तरह सांस नहीं फूलती है और बुखार नहीं आता है। केवल डायरिया की समस्या होती है और शरीर में कमजोरी आ जाती है। कुत्तों में इसके संक्रमण का असर सात से आठ दिन के अंदर रहता है। निजी और सरकारी पशु चिकित्सालय में केस आते रहते हैं।
कुत्तों में पाया जाने वाला कोविड-19 का वायरस नहीं, बल्कि उनमें कैनाइन कोरोना वायरस होता है। यह भी एक कुत्ते से दूसरे में फैलता है। इसका टीका कई साल पहले बन चुका है। इसकी हर वर्ष 30 दिन के अंदर दो डोज लगाई जाती है। चुन्नीगंज पशुचिकित्सालय के प्रभारी डॉ. सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि कुत्तों में पाया जाने वाला कोरोना वायरस कोविड-19 की तरह घातक नहीं है, लेकिन कुत्तों में संक्रमण का खतरा रहता है। इसमें कुत्तों का पेट खराब हो जाता है, खाना छोड़ देते हैं। कमजोरी आ जाती है। उनके पालकों को वक्सीनेशन कराने के लिए कहा जाता है।
30 दिन में लगते हैं दो टीके

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरपी मिश्र ने बताया कि कैनाइन कोरोना की वैक्सीन टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल नहीं है। इसे अलग से लगवाया जाता है। एक महीने के अंदर में दो डोज लगती हैं। पिल्ला जब ढाई हफ्ते का होता है, तब पहली डोज लगवा सकते हैं। साल में दो टीके ही लगते हैं। अगले वर्ष फिर दो टीके लगवाने पड़ते हैं।
200 से 250 के बीच कीमत

पशु चिकित्सकों के मुताबिक एक कैनाइन कोरोना वैक्सीन की कीमत करीब 200 से 250 रुपये के बीच में रहती है। यह नौ तरह के टीकों और रेबीज के वैक्सीन की तरह महत्वपूर्ण रहते हैं।

पांच फीसद में होता संक्रमण, कुछ की हो जाती मौत

डॉ. आरपी मिश्र के मुताबिक कैनाइन कोरोना का संक्रमण करीब पांच फीसद कुत्तों में देखने को मिलता है। इनमें कुछ की मौत भी हो जाती है। यह सभी तरह की नस्लों पर होता है। ज्यादातर को समय रहते इलाज मिल जा रहा है।


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