फिरोजाबाद:- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश के अंतर्गत जिला विज्ञान क्लब, फिरोजाबाद द्वारा कोरोना जागरूकता सीरीज में सैनिटाइजर, निर्माण एवं प्रयोग विषय पर वर्चुअल सेमिनार का आयोजन जिला विज्ञान क्लब, कार्यालय से जिला समन्वयक अश्वनी कुमार जैन के संयोजन में किया गया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ अश्वनी कुमार जैन ने देश के महान वैज्ञानिक डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के चित्र पर माल्यार्पण करके किया। उन्होंने बताया कि इस वर्चुअल कार्यशाला में जनपद के विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाचार्य, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क पहनना, सैनिटाइजर या साबुन से हाथ धोना एवं सामाजिक दूरी का पालन करना है। हैंड सैनिटाइजर एक तरल जैल या फोम होता है। यह कीटाणुओं और जीवाणुओं को हाथों से बाहर निकालता है। इसमें 60 प्रतिशत एल्कोहॉल के साथ आइसोप्रोपिल एल्कोहॉल, गिलसरीन, हाइड्रोजन परॉक्साइड और स्टलेरेल जल शामिल होता है। एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल हैंड सैनिटाइजर सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसी के साथ उन्होंने घरों में पौंछा, दरवाजे के हैंडिल साफ करने, हवा में वायरस को समाप्त करने के लिए बताया कि ब्लीचिंग पाउडर के दो प्रतिशत घोल के साथ एक प्रतिशत सोडियम हाइपो क्लोराइट का उपयोग विसंक्रमण के लिए किया जाता है। इस घोल को बनाने के लिए लगभग साठ ग्राम या दस चम्मच ब्लीचिंग पाउडर थोड़े से पानी के साथ मिलाकर पेस्ट तैयार करके एक लीटर जल में घोल लेते हैं। इस घोल में एक प्रतिशत सोडियम हाइपो क्लोराइट मिलाकर इसका प्रयोग तीन घंटे तक किया जा सकता है। घोल बनाने वाले व्यक्ति को हाथों की सुरक्षा के लिए रबर के दस्ताने एवं मास्क अवश्य लगाना चाहिए।
दाऊदयाल गर्ल्स इंटर कॉलेज की शिक्षिका श्रीमती नीलोफर ने बताया कि सैनिटाइजर का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। हैंड सैनिटाइजर का अधिक प्रयोग करने से हाथों की त्वचा रूखी होने लगती है। इसे आग से दूर रखना चाहिए एवं छ वर्ष से कम उम्र के बच्चों से भी इसे दूर रखना चाहिए।
आशिका जैन ने हैंड सैनिटाइजर के प्रयोग की विधि, पीयूष कुशवाह ने प्राकृतिक सैनिटाइजर की क्रियाविधि , गर्विका ने सैनिटाइजर के उपयोग, नित्या जैन ने उसके बनाने की विधि, वंशिका चतुर्वेदी ने कविता के माध्यम से, सम्भव यादव ने हैंड सैनिटाइजर का मूल्यांकन, शिखा यादव ने उसके असली या नकली की पहचान, हसीबा फारूकी ने उसका इतिहास, सौम्या सविता ने उसको बनाने की विश्व स्वास्थ्य संगठन की विधि बताई।
कार्यशाला का तकनीकी संचालन अर्चित जैन ने किया। कार्यशाला में डॉ सुखेन्द्र यादव, सौरभ जैन, योगेश जैन,आशीष देव,शरद पोरवाल, धर्मवीर सिंह यादव, आयुषी, अंशिका चतुर्वेदी, वंशिका चतुर्वेदी, पंकज कुमार, अदिति वर्मा, कौशल सिंह सिसोदिया, सृष्टि जादौन, हार्थिक कुमार, शिवानी यादव, उमा, बबलू कुमार, मनोज तिवारी आदि उपस्थित रहे। सभी प्रतिभागियों को जिला विज्ञान क्लब, फिरोजाबाद द्वारा इ-प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।