आगरा। कोरोना काल में जहां ऑक्‍सीजन की कमी से सैकड़ों लोग अपनी जान गवा रहे है। वहीं कुछ लोग चंद पैसों के लिए लोगों की सांसों का सौदा कर रहे है। आपको बता दे कि ऑक्‍सीजन सिलिंडर के लिए मची मारामारी के बीच ऑक्‍सीजन माफिया कमाई करने में लगे हुए है। गिरोह ने 15 दिन में ऑक्‍सीजन सिलिंडर के ब्लैक मार्केट से करीब पांच करोड़ की कमाई की है। जिले में कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज बढ़ने से 24 अप्रैल से ऑक्‍सीजन का संकट गहराने लगा। लिक्विड ऑक्‍सीजन न मिलने पर निजी कोविड हास्पिटलों में ऑक्‍सीजन सिलिंडर की मांग बढ़ गई। कामर्शियल ऑक्‍सीजन (बेल्डिंग से लेकर औद्योगिक इकाईयों में इस्तेमाल होने वाली ऑक्‍सीजन, औषधीय ऑक्‍सीजन से रेट बहुत कम) सिलिंडर के रेट 150 रुपये से बढ़कर 2000 रुपये तक पहुंच गए।

कामर्शियल ऑक्‍सीजन प्लांट संचालक और ऑक्‍सीजन आपूर्तिकर्ताओं ने गिरोह बनाकर एक एक सिलिंडर की बोली लगवाई। जिसने ज्यादा रेट लगाए और कैश में एडवांस भुगतान किया, उन्हें ऑक्‍सीजन सिलिंडर दिए गए। हालात बेकाबू होने पर निजी कोविड हास्पिटल संचालकों ने आक्सीजन खत्म होने के नोटिस बोर्ड लगा दिए। 25 अप्रैल से तीमारदारों को 2500 से 3000 रुपये तक ब्लैक में सिलिंडर दिए गए। ऑक्‍सीजन के दो प्लांट चालू होने के बाद भी 1200 से 1500 रुपये तक में डी टाइप ऑक्‍सीजन सिलिंडर मिला। जानकारों के मुताबिक, हर रोज 2000 से 2500 ऑक्‍सीजन सिलिंडर की खपत हुई। एक अनुमान के तहत 15 दिन में ऑक्‍सीजन सिलिंडर ब्लैक कर करीब पांच करोड़ की कमाई की गई। अब देखना यह है कि ये कालाबाजारी का सिलसिला कब तक जारी रहेगा।

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