कोरोना महामारी के इस भयावह दौर में सोशल मीडिया पर मदद मांगने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ सराहनीय काम किया बल्कि केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा मनमानी एक्शन लेने पर लगाम कसने का साहसिक कदम भी उठाया है.

नयी दिल्ली: कोरोना महामारी के इस भयावह दौर में सोशल मीडिया पर मदद मांगने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ सराहनीय काम किया बल्कि केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा मनमानी एक्शन लेने पर लगाम कसने का साहसिक कदम भी उठाया है. आज दिए अपने इस फैसले के जरिये सर्वोच्च अदालत ने माना है कि सोशल मीडिया एक-दूसरे की मदद का एक मजबूत प्लेटफार्म है. लिहाजा इस पर शिकंजा कसना गलत है. अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज कराता है, तो इसे गलत जानकारी नहीं कहा जा सकता है.

 

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए झटका भी समझा जा रहा है, क्योंकि हाल ही में अमेठी के एक युवक ने सोशल मीडिया पर ऑक्सिजन की गुहार लगाई थी, जिसके बाद पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था.

 

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब लोग बेख़ौफ होकर मदद की गुहार लगाने के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को सख्त हिदायत दी है कि ऐसे किसी भी मामले में अगर कोई कार्रवाई हुई, तो उसे कोर्ट की अवमानना समझा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज कराता है, तो इसे गलत जानकारी नहीं कहा जा सकता है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यदि नागरिक सोशल मीडिया और इंटरनेट पर अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं तो इसे गलत जानकारी नहीं कहा जा सकता है. कार्रवाई हुई तो कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी.’

 

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, ‘हम नहीं चाहते कि किसी जानकारी पर रोकथाम या नियंत्रण के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए. अगर ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई के लिए विचार किया गया तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. सभी राज्यों और डीजीपी को एक कड़ा संदेश जाना चाहिए. किसी भी जानकारी पर शिकंजा कसना मूल आचरण के विपरीत है.’

 

दरअसल, बीते दिनों अमेठी पुलिस ने अपने बीमार नाना की मदद के लिए ट्वीट करने पर शशांक यादव नाम के युवक के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. हालांकि बाद में, पुलिस ने उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया था. अमेठी पुलिस का दावा था कि युवक के नाना को ऑक्सिजन की जरूरत नहीं थी और न ही वे कोरोना पॉजिटिव थे. उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से हुई.

 

शशांक ने 26 अप्रैल को ट्विटर के माध्यम से बॉलिवुड ऐक्टर सोनू सूद से अपने बीमार नाना के लिए ऑक्सिजन की गुहार लगाई थी. इसके बाद कई दूसरे पत्रकार भी इस वार्ता से जुड़ते चले गए. इसमें केंद्रीय मंत्री और अमेठी से सांसद स्मृति इरानी को भी टैग किया गया. स्मृति इरानी ने कुछ देर बाद ही जवाब दिया कि शशांक को कई बार फोन करने की कोशिश की गई लेकिन वह फोन नहीं उठा रहे हैं. सांसद ने पुलिस और अन्य अधिकारियों को भी मदद करने के निर्देश दिए थे


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