जनपद वासियों के दिल में कोरोना के साथ-साथ लॉकडॉन का भी बैठा भय
जिसके कारण बाजारों में पूर्ण रूप से मंदी छा चुकी है, कोई भी व्यक्ति नया सामान खरीदना तो दूर छूने को भी तैयार नहीं है, इस मंदी में सभी दुकानदार एवं थोक विक्रेताओं का कहना है कि ,सभी ग्राहक कोरोना को ही अपना दुश्मन समझ बैठे हैं , इसके साथ साथ समस्त जनपद वासियों के दिल में लॉकडाउन का भी भय एक बार पुनः बैठ चुका है, जिसके कारण लोगों का घर से निकलना असंभव सा लग रहा है

जब इस संदर्भ में बाजार में ग्राहकों और दुकानदारों से बात की गई तो उनका साफ तौर से कहना था, कि यह सरकार मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए तो बिल्कुल भी सोच नहीं रही है
उनका यह भी कहना था कि या तो यह सरकार बड़े-बड़े उद्योगपति और बड़े बड़े बाबा जैसे स्वामी रामदेव अंबानी आदि नामी- गिनामी देश की जो हस्तियां हैं, उनके बारे में सरकार सोच रही है, या फिर मजदूरी करने वाले सबसे निम्न स्तर के गरीब लोगों के बारे में
उन्होंने बातचीत के दौरान यह भी बताया कि सरकार ठीक काम कर रही है लेकिन तीनों वर्गों को साथ में लेकर चले ,यह भेदभाव की नीति आखिर क्यों?
ठीक है सबसे ऊंचे वर्ग के बारे में भी सोच रही है और सबसे सबसे निम्न परग के बारे में भी सोच रही है ,लेकिन यह सरकार मध्यमवर्गीय परिवारों के साथ एक तरह से अन्याय और उनको भेदभाव के नजरिए से देख रही है, उनका ये भी कहना था कि सरकार की नीतियां एक तरह से देखा जाए तो बिल्कुल मध्यमवर्गीय जितने भी परिवार हैं उनके खिलाफ हैं, और सबसे ज्यादा इसमें नुकसान हो रहा है मध्यमवर्गीय परिवारों का , भारत देश के अंदर यदि देखा जाए तो सबसे ज्यादा आबादी तीनों वर्गों में लोग हैं वह मध्यमवर्गीय परिवारों के ही हैं इस बात को लेकर सभी दुकानदारों में अधिकांश नाराजगी दिखी

 


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