फिरोजाबाद/08 मार्च/
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिविल जज सी0डि0 सीमा कुमारी ने बताया है कि अध्यक्ष,जिला जज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संजीव फौजदार के निर्देशानुसार आज जनपद न्यायालय के सभागार में महिला दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी के द्वारा नारी के सम्मान में कहा गया कि नारी का सम्मान अनादिकाल से होता चला आ रहा है आज के दौर में महिला व पुरूष में समानता बनाये रखने की आवश्यकता है। प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेश नौटियाल के द्वारा नारी के सम्मान में बताया गया कि आज के युग में महिलाओं की कार्यक्षमता और योग्यता से इंकार नहीं किया जा सकता। विभिन्न क्षेत्रों में स्त्रियाँ आज कुछ विशेष करके दिखा रही हैं उसने इस भ्रान्तिपूर्ण मान्यता को झुठला दिया है कि कार्यक्षमता और दक्षता के मामले में वे पुरूषों से कम हैं बल्कि कई मामलों में तो उनका कीर्तिमान पुरूषों से उँचा है। आज प्रत्येक क्षेत्र में अंतरिक्ष से लेकर राजनीति तक महिला एवं पुरूष एक समान रूप से कार्य कर रहे हैं परन्तु महिलाओं को समुचित जानकारी न होने के कारण वे अपने श्रम या कार्य से सम्बन्धित अधिकारों से वंचित रह जाती हैं।
अपर जिला जज कोर्ट नं० 6 आजाद सिंह द्वारा नारी के सम्मान में कहा कि शक्ति की देवी माँ दुर्गा, धन की देवी माँ लक्ष्मी,ज्ञान की देवी माँ सरस्वती सभी नारी के ही स्वरूप हैं। सिविल जज जू०डि० दीक्षी चैधरी द्वारा अवगत कराया गया कि नारी किसी भी प्रकार से पुरूष से कम नहीं है आज हमारे देश नारी देश की सीमाओं पर देश के सम्मान व सुरक्षा के लिए तैनात हैं, घर परिवार में भी माता पिता अपने बेटे के तरह ही बेटियों का ख्याल रखें और भेदभाव न करें। सिविल जज जू०डि०,न्यायिक मजिस्ट्रेट, (एफ०टी०सी०-1) अभिषेक सिंह के द्वारा नारी के सम्मान में कहा कि आज किसी भी दृष्टि से नारी पीछे नहीं है। उन्होने बताया कि भारत सरकार द्वारा भी नारी की सुरक्षा व सम्मान के लिए विभिन्न प्रकार के अधिनियम बनाये गये हैं, परम्परागत सामाजिक रूढियों के अनुसार नारी को घर में रहने के लिए प्रतिबंधित न कर उसे सशक्त व साक्षर बनाने की आवश्यकता है।
सिविल जज जू०डि०,न्यायिक मजिस्ट्रेट, (एफ०टी०सी०-2 ) कपिल यादव द्वारा नारी के सम्मान में कहा गया कि नारी का शील, उसकी सभ्यता उसकी अपनी सम्पत्ति है परन्तु आज के युग में नारी अपने अधिकारों के प्रति सजग होती दिखाई दे रही है अधिकार के प्रति उसकी यह सजगता उसके अन्दर पुरूषों के प्रति प्रतिद्वन्दिता व प्रतिस्पर्धा का भाव उत्पन्न कर रही है। गुंजन जैन, सरोज शर्मा, भगवान गुप्ता द्वारा भी नारियों के सम्मान में अपने अपने विचार व्यक्त किये गये।