आज आईवी इंटरनेशनल स्कूल फिरोजाबाद मे बहुत ही हर्ष के साथ बसंत पंचमी के पावन पर्व के उपलक्ष में बाल मेले का आयोजन विद्यालय प्रांगण में कराया गया। जिसका शुभारंभ विद्यालय की डायरेक्टर श्रीमती श्रीदेवी जी (माता जी)के द्वारा किया गया । वही स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती नन्दिनी यादव ने सरस्वती मां की प्रतिमा पर फूल अर्पण किए गए। अभिभावकों के साथ आए बच्चों ने मेले का लुफ्त उठाया । मेले में मिकी माउस, घुड़ सवारी,ऊंट सवारी,पतंग उड़ा कर बच्चों ने बसंत ऋतु का उत्सव मनाया | सभी के मुख्य आकर्षण का केंद्र नन्हे मुन्ने बच्चे रहे जोकि पीले रंग की पोशाक में आए थे। बच्चों के लिए डांस एवं संगीत की भी व्यवस्था कराई गई।जिसका भरपूर लुफ्त बच्चों के द्वारा उठाया गया। विद्यार्थियों अभिभावकों के लिए खाने की स्टाल भी लगवाई गई । विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती नन्दिनी यादव ने बसंत पंचमी की सबको बधाई दी | और बच्चों को बसंत ऋतु के बारे में बताया कि कड़कड़ाती ठंड के अंतिम पड़ाव के रूप में वसंत ऋतु का आगमन प्रकृति को वसंती रंग से सराबोर कर जाता है। अंगारों की तरह दिखते पलाश के फूल आम के पेड़ों पर आए बौर, हरियाली से ढँकी धरती और गुलाबी ठंड की इस ऋतु हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्व है।
वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहते हैं।
यह दिन वसंत ऋतु के आरंभ का दिन होता है। देवी सरस्वती और ग्रंथों का पूजन किया जाता है। नव बालक-बालिका इस दिन से विद्या का आरंभ करते हैं। संगीतकार अपने वाद्ययंत्रों का पूजन करते हैं। स्कूलों और गुरुकुलों में सरस्वती और वेद पूजन किया जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार वसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त जाने शुभ और मांगलिक कार्य किए जाते हैं। इस दिन बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है, पितृ तर्पण किया जाता है,और सबसे महत्वपूर्ण विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पहनावा भी परंपरागत होता है। पुरुष कुर्ता-पाजामा में और स्त्रियाँ पीले या वासंती रंग की साड़ी पहनती हैं। गायन और वादन सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं जो सरस्वती माँ को अर्पित किए जाते हैं। कार्यक्रम में स्कूल के सभी अध्यापक जिसमें पावन शर्मा, नूपुर केदारिया,अवधेश उपाध्याय, सोनिया अग्रवाल,चारूअग्रवाल, कुलदीप वशिष्ठ,पवन आफरीन खान ,शीवा मिर्जा,सोनिया जैन, अजय यादव,डीके उपाध्याय, देश दीपक,संजीव गुप्ता, आदि मौजूद रहे